जबलपुर. स्मार्ट सिटी के नाम पर कस्बे से भी ज्यादा खराब स्थिति में आई संस्कारधानी के पास अब हरित क्षेत्र (ग्रीन फील्ड) के नए नाम से शहर निर्माण के नाम पर पुन: तस्वीर बिगाड़ने की तैयारियां की जा रही हैं. शहर के जागरूक नागरिकों ने यह आरोप लगाते हुए जानकारी दी कि प्रदेश के कुछ जिलों में 50 हजार करोड़ से ग्रीन फील्ड शहर बसाने का सब्जबाग दिखाया जा रहा हैं.
जिसमें दावा किया जा रहा हैं कि करीब 5 लाख लोगों को रोजगार भी मिलेगा. नागरिकों का आरोप हैं कि शहर का स्मार्ट सिटी के नाम पर पहले ही कबाड़ा हो चुका हैं रही सही कसर ग्रीन फील्ड शहर के नाम पर निकालने की तैयारी चल रही हैं. बताया जा रहा हैं कि ग्रीन फील्ड शहर के नाम पर कटनी जबलपुर के बीच के क्षेत्र का चयन किया गया हैं.
वनों की तरह ग्रामीण परिवेश को नष्ट करने की तैयारी!
फिर क्यों दिया जा रहा हरित क्षेत्र का नाम
स्मार्ट सिटी के नाम पर भले ही जबलपुर सहित अन्य शहरों की तस्वीर बद से बद्तर क्यों न हो गई हो इसे उपलब्धि बताते हुए ग्रीन सिटी बसाने की योजना को सामने लाया जा रहा हैं. जानकारों का कहना है कि जिस तरह वन्य क्षेत्रों का निजीकरण की आड़ में वन्य जन-जीवन नष्ट करने की तैयारी चल रही हैं वहीं शहर के आस-पास बचे-खुचे ग्रामीण परिवेश को खत्म करने की तैयारी चल रही हैं. ग्रामीणों का आरोप हैं कि यदि कथित हरित क्षेत्र के नाम पर कॉलोनी,इंडस्ट्रियल एरिया, बाजार, मॉल, स्कूल, अस्पताल और मनोरंजन जैसी सुविधाओं से युक्त स्थान बनाया जाएगा तो हरति क्षेत्र की हरियाली कहां नजर आएगी.
दिखाए जा रहे रोजगार के सब्जबाग
स्मार्ट सिटी के बाद ग्रीन फील्ड सिटी बसाने को बड़ी योजना बताया जा रहा हैं. मनरेगा जैसे कार्यों से भी अरसे से बेरोजगार ग्रामीणों के लिए दावे किए जा रहे हैं कि इस योजना से न केवल लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे. ग्रीन फील्ड के नाम पर उद्योगों को इकोनॉमिक कॉरिडोर (आर्थिक क्षेत्र) के लाभ का भी दावा किया जा रहा हैं लेकिन फिर हरित क्षेत्र का क्या अर्थ निकलेगा यह बताने कोई तैयार नहीं. दाव किया जा रहा है कि ग्रीन फील्ड शहरों में आधुनिक सुविधाओं की भरमार होगी, जैसे रोड, पानी, बिजली, रेलवे लाइन, अस्पताल, स्कूल, सोलर सिस्टम और ग्रीनरी चारों ओर होगी.
हर सुविधा से होगा सुसज्जित
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार योजना के तहत ग्रीन फील्ड शहरों में सभी बुनियादी जरुरतों को प्राथमिकता दिए जाने के दावे किए जा रहे हैं. इन शहरों में सड़क, पानी, बिजली, रेलवे कनेक्टिविटी, अस्पताल, स्कूल, सोलर पावर सिस्टम और ग्रीनरी जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. इन शहरों को बसाने के लिए स्मार्ट सिटी जैसी अथॉरिटी बनाई जाएगी, जो इन शहरों के विकास के लिए जरूरी परमिशन और अनुमति को आसानी से हासिल कर सकेगी. जानकारों का कहना हैं जिस तरह स्मार्ट सिटी के दफ्तरों में वर्तमान में परिंदा भी पर नहीं मारता ग्रामीण क्षेत्रों को उजाड़ कर इसी तरह ग्रीन फील्ड अथॉरिटी भी नौ-दो-ग्यारह हो जाएगी.
50 हजार करोड़ की बंदरबांट!
सूत्रों से मिली जानकारी स्मार्ट सिटी के नाम पर जैसे पूर्व में अधिकारियों ने चांदी काटी उसी तरह इस बार ग्रीन फील्ड शहरों के विकास नाम पर इस बार करीब 50 हजार करोड़ रुपए खर्च करने की तैयारी चल रही हैं. इस परियोजना के तहत, पुराने और नए शहरों को बीच बेहतर रोड कनेक्टिविटी के लिए फोरलेन रोड बनाई जाएंगी. इसके साथ ही इन शहरों में किसानों, निवेशकों और सरकार के सहयोग से विकास होगा, जो न केवल शहरों का निर्माण करेगा बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी मिलेंगे. इन शहरों में सोलर सिस्टम, कवर्ड कॉलोनी, ग्रीन इंडस्ट्रियल एरिया, बाजार, मॉल, स्कूल, अस्पताल और मनोरंजन जैसी सुविधाएं मौजूद होंगी.
जबलपुर कटनी के बीच बनेगा ग्रीन फील्ड
बताया जा रहा हैं कि ग्रीन फील्ड शहरों के निर्माण के लिए जबलपुर और कटनी के बीच भी एक-एक नया शहर बसाने की योजना है. इस के निर्माण से करीब 5 लाख लोगों को रोजगार का दावा किया जा रहा हैं. नए शहर में रोजगार के अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य और मनोरंजन के क्षेत्र में भी सुधार होगा.