जबलपुर. न्यू लाइफ मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल अग्निकांड में हुई आठ व्यक्तियों की मौत तथा नियम विरुद्ध तरीके से अस्पताल का संचालन किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेष कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने हॉस्पिटल अग्नि हादसे की जांच के लिए संभागायुक्त की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट पुलिस को सौंपने के निर्देष दिये है. इसके अलावा जबलपुर में नियम के विरूध्द संचालित अस्पतालों के संबंध में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेष करने के आदेश जारी किये है.
लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल व अन्य की तरफ से दायर याचिकाओं में कहा गया था कि जबलपुर में नियम विरुद्ध तरीके से निजी अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है. निर्धारित मापदंड पूर्ण नहीं करने वाले अस्पतालों का नियम विरुद्ध तरीके से पंजीयन किया गया है.
नियम को ताक में रखकर जबलपुर के शिव नगर में न्यू लाइफ अस्पताल को संचालन की अनुमति प्रदान की गयी थी. अस्पताल में हुए अग्नि हादसे में आठ व्यक्तियों की मौत हो गई थी. अस्पताल में आपातकालीन द्वार नहीं होने के कारण लोग बाहर तक नहीं निकल पाए थे. अग्नि हादसे में उनकी दम घुटने से मौत हो गयी.
याचिका में कहा गया था कि जबलपुर में कोरोना काल के दौरान विगत तीन साल में 65 निजी अस्पतालों को संचालन की अनुमति दी गई है. नेशनल बिल्डिंग कोड, फायर सिक्योरिटी के नियमों का पालन नहीं किया जाने के बावजूद भी उन्हें अनुमति प्रदान की गयी है. जमीन के उपयोग का उद्देश्य दूसरा होने के बावजूद भी अस्पताल संचालन की अनुमति दी गयी है.
बिल्डिंग का कार्य पूर्ण होने का प्रमाण-पत्र नहीं होने के बावजूद भी अस्पताल संचालन की अनुमति प्रदान की गई है. भौतिक सत्यापन किए बिना अस्पताल संचालन की अनुमति प्रदान की गई है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नियम विरुद्ध तरीके से संचालित अस्पतालों पर कार्यवाही कर एक्शन टेकन रिपोर्ट पेष करने के निर्देष जारी किये थे.
पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि अस्पताल अग्निकांड की जांच के लिए संभागायुक्त की अध्यक्षता में हाई लेवल जांच कमेटी का गठन किया गया है. याचिका पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि नियम विरुद्ध तरीके से संचालित अस्पतालों के खिलाफ कार्यवाही जारी है. नियम विरूध्द तरीके से संचालित कोठारी तथा एप्पल अस्पताल का पंजीयन निरस्त कर दिया गया है.
याचिकाकर्ता ने बताया कि हाई लेवल कमेटी द्वारा अस्पताल अग्निकांड की जांच रिपोर्ट पूर्व में न्यायालय में पेष की गयी थी. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में अस्पताल के पंजीयन के लिए भौतिक निरीक्षण करने वाले डॉ एल एन पटेल तथा डॉ निषेष चौधरी को दोषी पाया है. इसके बावजूद भी प्रकरण में उक्त दोनों डॉक्टरों को आरोपी नहीं बनाया गया है.
दोनों डॉक्टर सही भौतिक निरीक्षण रिपोर्ट पेष करते हुए अस्पताल का पंजीयन नहीं होता. अस्पताल में आपातकालीन दरवाजा भी नहीं था और उनकी रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल का पंजीयन हुआ था. अग्निकांड में आठ लोगों की दम घुटने से मौत हो गयी. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की.