जबलपुर, देशबन्धु. पमरे के मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा नियम कानून को ताक पर रखकर कार्य संपादन किये जानेसे दिनों दिन रेलवे की छवि धूमिल हो रही है. ऐसे रेलवे कर्मचारी, जो कई सालों से अधिकारियों की कृपा पर टिके हैं, उनको किसी का भी डर नहीं है. वह मनमानी करने में अग्रणी रहते हैं और महिला यात्रियों तक से बदसलूकी करने में हमेशा अग्रणी रहते हैं. इन कर्मचारियों के इस रवैये से शीर्ष अधिकारियों और विभाग की छवि धूमिल हो रही है. पमरे के मुख्य स्टेशन के प्लेटफॉर्म नम्बर 1 में स्टेशन प्रबंधक (वाणिज्य) ने पटना- पुणे एक्सप्रेस के समय एक गरीब महिला यात्री को बड़े ही गलत ढंग से व्यवहार किया.
इस गलत व्यवहार के कारण उक्त महिला कर्मी की आंख के आंसू तक आ गए. उसके रहन- सहन से ऐसा लग रहा था कि वह पुणे किसी काम की तलाश में जा रही थी. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक महिला यात्री प्रीति रैकवार उम्र लगभग 45 वर्ष ने स्टेशन प्रबंधक (वाणिज्य) से पूछा कि पटना-पुणे ट्रेन नम्बर 12150 में जनरल कोच कहां पर लगा है. घड़ी में उस समय 10.40 मिनट हुआ था, ट्रेन शीघ्र ही पुणे के लिए रवाना होने वाली थी. स्टेशन प्रबंधक के इस व्यवहार से वह महिला काफी नाराज आई.
परंतु ट्रेन के छूटने के कारण वह इस स्थिति में नहीं थी, जिससे वह रेलवे के उच्च अधिकारियों को आपबीती घटना की शिकायत कर सके दौड़कर उसने सामान्य कोच के बजाय स्लीपर में ही प्रवेश कर लिया. चूंकि लम्बी दूरी तक उसे यात्रा करनी थी, इसलिए वह पुणे तक बगैर आरक्षण के ही वह यात्रा करने मजबूर रही.
पमरे के मंडल रेल प्रबंधक कमल तलरेजा और वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक डॉ. मधुर वर्मा, शशांक गुप्ता ने सभी कर्मियों को निर्देशित किया है कि वह महिला यात्रियों और वरिष्ठ यात्रियों को सम्मान सहित वार्ता करें और उन्हें हरसंभव सहायता दें, जिससे वह अपनी यात्रा सुविधाजनक ढंग से तय कर सकें. स्टेशन प्रबंधक (वाणिज्य) के रवैये से ऐसा प्रतीत होता है कि उन पर अधिकारियों की समझाइश का कोई असर नहीं हुआ है.