जबलपुर. शहर के साथ समूचे प्रदेश में के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है. इस समय 4 हजार से ज्यादा पद खाली होने के बाद भी प्रदेश में भर्ती प्रक्रिया बेहद धीमी है. जिसके चलते प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है. विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी से मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा.
वर्ष 2025 में 53 विशेषज्ञ डॉक्टर सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जबकि मेडिकल ऑफिसर और दंत चिकित्सकों सहित यह संख्या 80 से अधिक पहुंच रही है. इससे पहले से ही खाली चल रहे 3 हजार 9 सौ 48 पदों (रिक्त पदों) पर संकट और गहरा गया है.
ये हैं खाली पदों के आंकड़े
चिकित्सा विभाग के सूत्रों के अनुसार प्रदेश में 5 हजार 4 सौ 43 विशेषज्ञों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से केवल 1 हजार 4 सौ 95 पद ही भरे गए हैं. चिकित्सा अधिकारियों के 6 हजार 5 सौ 13 पदों में से 3 हजार 8 सौ 24 पद ही कार्यरत हैं और 2 हजार 6 सौ 89 पद खाली हैं. विशेषज्ञों की कमी का असर सीधे ओपीडी (बाह्य रोगी विभाग) की सेवाओं पर पड़ रहा है. मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है, जो आम आदमी की जेब पर भारी पड़ रहा है.
क्या कहते हैं ताजा आंकड़े
चिकित्सा विभाग के सूत्रों से मिले ताजे आंकड़ों के अनुसार विशेषज्ञों के पद 5 हजार 4 सौ 43 हैं जिनके मुकाबले पदस्थ विशेषज्ञों की संख्या महज 1 हजार 4 सौ 95 हैं वहीं खाली पदों की संख्या 3 हजार 9 सौ 48 हैं. इस वर्ष यानि वर्ष 2025 में सेवानिवृत्त होने वाले विशेषज्ञों की संख्या 53 हैं वहीं सीएमएचओ, सिविल सर्जन, जिला स्वास्थ्य अधिकारी एवं ब्लॉक मेडिकल अधिकारियों के 21 पदों पर बैठे अधिकारी इस वर्ष सेवानिवृत्ति के करीब हैं.
धीमी गति से चल रही भर्ती प्रक्रिया
प्रदेश में एक तरफ तो मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की चयन प्रक्रिया धीमी हैं वहीं चयन के बाद भी अधिकांश डॉक्टर पदभार ग्रहण नहीं कर रहे हैं जिससे समस्या और विकराल रूप ले रही हैं. बताते हैं एमपीपीएससी के माध्यम से 1000 से अधिक विशेषज्ञों की भर्ती प्रक्रिया जारी है लेकिन कई चयनित डॉक्टर पदभार ग्रहण ही नहीं कर रहे हैं. पिछली भर्ती में करीब 200 डॉक्टरों ने नियुक्ति स्वीकार नहीं की थी. इसकी वजह सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थागत समस्याएं, संसाधनों की कमी और कार्य का अत्यधिक दबाव बताया जा रहा हैं.
सेवानिवृत्त होने से बढ़ी चुनौती
सेवानिवृत्त होने वाले 53 विशेषज्ञों में ईएनटी, गायनिक, सर्जन, रेडियोलोजिस्ट, नेत्र रोग, ऑर्थोपेडिक्स, पैथोलॉजी, एनेस्थेसिया आदि क्षेत्रों के अनुभवी डॉक्टर शामिल हैं. इनकी जगह भरना आसान नहीं होगा, क्योंकि इन क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त डॉक्टरों की संख्या सीमित है.