जबलपुर, देशबन्धु. ग्रीष्मकाल में अधिवक्ताओं के लिये काला कोट पहनने में शिथिलता रहेगी. इस दौरान काला कोट पहनने की बाध्यता नहीं होगी. सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों को छोड़कर देश के अन्य न्यायालयों के समक्ष अधिवक्तागण उक्त नियम शिथिलता के साथ अधिवक्तागण अभिभाषकीय दायित्वों का निर्वहन कर सकते है.
मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद के वाइस चेयरमैन व जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष आरके सिंह सैनी ने उक्त जानकारी दी श्री सैनी ने बताया कि बीसीआई के नियम-4 के अंतर्गत ग्रीष्मकालीन अवधि में अधिवक्ताओं को कोट पहनकर व्यवसाय करने के नियम में शिथिलता प्रदान करता है. जिसके तहत 15 अप्रैल से 15 जुलाई 2025 तक उक्त नियम को प्रभावशाली किया गया है.
श्री सैनी ने बताया कि एसबीसी को प्रदेश के विभिन्न तहसील एवं जिला अधिवक्ता संघों से पत्र प्राप्त हुये थे कि अनेकों तहसील व जिला अधिवक्ता संघों में अधिवक्ताओं के अनुपात में बैठने के स्थान बहुत कम हैं और प्राय यह पाया गया है कि अधिवक्ता अपना अधिवक्ता दायित्व न्यायालय के बरामदे में, भवन के बाहर कार्य करते हैं और अनेकों बार विद्युत व्यवधान होने पर उक्त परिस्थिति प्रतिकूल और त्रासदी हो जाती है.
ग्रीष्मकालीन अवधि में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमानुसार काला कोट की बाध्यता को नियमानुसार शिथिल किया जाता है और इस प्रकार 15 अप्रैल से 15 जुलाई की अवधि को शिथिलता प्रदान की गई. है. इस दौरान अधिवक्तागण सफेद शर्ट, काली, सफेद धारियों, ग्रे कलर के पेंट और एडवोकेट बैंड पहनकर अभिभाषक दायित्व का निर्वहन कर सकेंगे.