जबलपुर. शहर के साथ प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सत्र 2025-26 से नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक पाठ्यक्रमों में अध्यादेश 14-1 लागू किया जा रहा हैं. जिसके अंतर्गत कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे. इस संबंध में विश्वविद्यालयों को सुझाव दिए जा रहे हैं. शासन ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए सत्र 2025-26 से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में नई शिक्षा नीति लागू करने का निर्णय लिया है. इस नीति के तहत, स्नातक पाठ्यक्रमों में बदलाव होंगे.
जिससे छात्रों को बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसर मिलेंगे. यह नीति छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से लाई जा रही है, जिससे उनके भविष्य को और बेहतर बनाया जा सके. इसके लिए विश्वविद्यालय में विद्वान की नियुक्ति, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दी गई सुविधाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान दिया जा रहा है.
अतिथि विद्वान की नियुक्ति
नई शिक्षा नीति के तहत, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों की बढ़ती संख्या और शिक्षा के स्तर को बनाए रखने के लिए अतिथि विद्वान की नियुक्ति की जाएगी. उच्च शिक्षा विभाग ने सुझाव मांगा है कि विश्वविद्यालयों में जिन विषयों में शिक्षक नहीं हैं, वहां अतिथि शिक्षक रखे जाएं.
मांगे गए सुझाव
उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों से इस नई नीति के क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों और संभावनाओं पर सुझाव मांगे हैं. इस संबंध में बुधवार को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में यूनिवर्सिटीज के प्राध्यापकों ने अपनी राय और सुझाव साझा किए. विद्वान का कहना था कि जब तक विश्वविद्यालय में आवश्यक शिक्षक नहीं होंगे, तब तक इस नई शिक्षा नीति का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन करना मुश्किल होगा.
अन्य विषय भी पढ़ सकेंगे छात्र
प्राध्यापकों का कहना है कि इस नई नीति के तहत, जैसे कि बीकॉम के छात्र अब विज्ञान और गणित जैसे विषय भी पढ़ सकेंगे, इसके लिए विश्वविद्यालय में आवश्यक विद्वान की नियुक्ति की जाए. इसके साथ ही, कुछ कॉलेजों में विद्वान की कमी को देखते हुए, विद्वान की नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज किया जाए. कई विश्वविद्यालय तो ऐसे विषय हैं जिनमें नियमित शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, ऐसे में विश्वविद्यालय को अतिथि विद्वान की नियुक्ति पर विचार करना चाहिए.
विषय चुनने में होगी आसानी
नई शिक्षा नीति में जो प्रमुख बदलाव किए गए हैं, उनमें से एक महत्वपूर्ण पहल यह है कि अब छात्रों को विषयों का चयन करने में अधिक स्वतंत्रता मिलेगी. जैसे बीकॉम के छात्र अब गणित और विज्ञान के विषय भी पढ़ सकते हैं. इससे छात्रों को कई नए अवसर मिलेंगे और वे अपनी रुचि और करियर के हिसाब से पाठ्यक्रम को चुन सकेंगे.