ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
जबलपुर,देशबन्धु. हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने अपने आदेष में गया है कि अनुबंध शर्तों का उल्लंघन हुई,यह साबित करने का बोझ बीमा कंपनी का होता है। दुर्घटना में मृत ड्राइवर के पास लाइसेंस था,इस संबंध में वाहन मालिक कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके। घटना में मृत ड्राइवर के पास लाइसेंस नहीं होने के कारण कंपनी वाहन मालिक से बीमा की राशि हकदार होगी।
श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने आयुक्त, कर्मकार प्रतिकर अधिनियम प श्रम न्यायालय रीवा द्वारा दुर्घटना में मृत डायवर की विधवा पत्नी के पक्ष में पारित अवार्ड किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की गयी थी। अपील में कहा गया था कि घटना में मृत शिवकुमार रावत को अनावेदक श्रीकांत सिंह ने ड्राइवर रखा था। उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था,जो बीमा शर्तों का उल्लंघन है। शर्तों का उल्लंघन होने के कारण कंपनी पर बीमा राशि प्रदान करने का कोई दायित्व नहीं बनता है।
एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान अनावेदक वाहन मालिक को ड्राइवर का लाइसेंस प्रस्तुत करने के आदेष जारी किये थे। वाहन मालिक आदेष के बावजूद भी मृतक का ड्रायविंग लायसेंस पेश नहीं कर सका। एकलपीठ ने अपने आदेष में कहा है कि ड्राईवर शिवकुमार रावत की मौत वाहन के पलटने से हुई थी अर्थात वाहन गति में था। वाहन चलाने के लिए वैध ड्राइविंग लाइसेंस एक आवश्यक शर्त है।
आम तौर पर बीमा कंपनी को साबित करना होता है कि बीमा अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन हुआ है। वाहन मालिक ने कार्यवाही में भाग लिया था, इसलिए मृतक के पास ड्राइविंग लाइसेंस होने के तथ्य को साबित करने का भार उस पर था। आदेश के बावजूद भी वाहन मालिक ने मृतक का ड्राइविंग लाइसेंस प्रस्तुत नहीं किया है। एकलपीठ ने पूर्व में पारित अवार्ड राशि के आदेष को बरकरार रखते हुए मृतक की विधवा पत्नी अनावेदक सरोज रावत को देने के निर्देश बीमा कंपनी को दिये है। एकलपीठ ने अपने आदेष में कहा है कि बीमा कंपनी उक्त राशि आपत्तिजनक वाहन के मालिक से वसूलने की हकदार होगी। अपीलकर्ता कंपनी की तरफ से अधिवक्ता राजेश कुमार जैन ने पैरवी की
ADVERTISEMENT