जबलपुर. जबलपुर रेल मंडल से जुड़े टीटीई इन दिनों प्रयागराज छिवकी रेस्ट हाउस की बदहाली के चलते खासे नाराज हैं. सूत्रों के अनुसार मंडल में हर जगह अधिकारियों के रेस्ट हाउस में तो तमाम सुख-सुविधाओं का ध्यान रखा जाता हैं लेकिन टीटीई रेस्ट हाउस के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा हैं. प्रयागराज छिवकी रेस्ट हाउस की तरह अन्य रेस्ट हाउस भी बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं. कि थके मांदे इन रेस्ट हाउस में पहुंचने वाले टीटीई को न तो यहां सोने के लिए बिस्तर नसीब होता हैं न नहाने के लिए पानी मिल पाता हैं.
यात्रियों की समस्या सुलझाने वाले खुद समस्याग्रस्त
ट्रेन में यात्रियों की टिकट से लेकर सफर के दौरान आने वाली हर समस्या सुनने और समाधान करने तत्पर रहने वाले टीटीई स्वयं समस्याओं से जूझने विवश हैं. उनकी परेशानी की वजह रेलवे के वे टीटीई रेस्ट हाउस हैं, जहां ड्यूटी के दौरान उन्हें रोका जाता है. वर्तमान में अधिकांश टीटीई रेस्ट हाउस बदहाल हो चुके हैं. मौजूदा हालात यह हैं कि यहां सोने के लिए बिस्तर नहीं है. किसी में यह मिल भी जाए तो रातभर सिलिंग से टपकते पानी में सोना मुश्किल है.
इतना ही नहीं इन रेस्ट हाउस में रात के वक्त पहुंचाने वाले टीटीई को नहाना तो दूर हाथ धोने के लिए बाथरूम में पानी तक नहीं मिलता. यह सब तक है कि जब जबलपुर मंडल के टीटीई ने टिकट चेकिंग में सर्वाधिक राजस्व वसूलकर रेलवे को दिया. यहां तक की 2021-22 में जबलपुर के ही एक टीटीई ने देशभर में सबसे ज्यादा टिकट चेकिंग कर करोड़ों का जुर्माना वसूलने का रिकार्ड अपने नाम किया.
पानी और लाइट दोनों बंद, जनरेट भी नहीं
जबलपुर से ट्रेन में टिकट जांच करते हुए छिवकी पहुंचे टीटीई यहां के रेस्ट हाउस में आराम करने पहंचे. यहां आने के बाद उन्हें पता चला कि रात के वक्त यहां बाथरूम में पानी नहीं आता. टीटीई ने बताया कि इस रेस्ट हाउस को निजी ठेकेदार द्वारा संचालित किया जाता है. इसकी शिकायत की तो पता चला पानी सुबह आएगा. सोने के लिए बिस्तर यदि उपलब्ध हैं तो गद्दे नहीं हैं मच्छरदानियां फटी हुई हैं.
हालात इतने बुरे हैं कि रेस्ट के दौरान यदि किसी टीटीई को शौचालय की आवश्यकता हो तो 10 किमी दूर होटल में जाना पड़ता हैं. एक टीटीई ने बताया कि झांसी मंडल में आने वाले टीटीई रेस्ट हाउस के यह हाल है कि जहां बिस्तर लगा है, वहां सीलिंग से पानी गिरता है. रात भर बाल्टी लेकर टीटीई को सोना पड़ रहा. यदि गलती से नींद आ गई है तो कुछ देर में ही सीलिंग का पानी चेहरे पर गिरने लगता है.
सीनियर डीसीएम ने की थी जांच
इस मामले में पूर्व में टीटीई की इस परेशानी को दूर करने के लिए जबलपुर रेल मंडल के तत्कालीन सीनियर डीसीएम ने जबलपुर मंडल के इटारसी और भोपाल टीटीई रेस्ट हाउस का निरीक्षण किया था. यहां पर पानी और सोने की व्यवस्था में खामियां मिली, जिसे दूर कराने के निर्देश दिए गए. वहीं छिवकी के टीटीई रेस्ट हाउस डीसीएम और यूनियन के पदाधिकारियों को भेजा गया. सूत्रों के मुताबिक यहां पर निजी हाथों में इसका संचालन दिए जाने से व्यवस्था और खराब हो गई है. सबसे ज्यादा बुरे हाल झांसी मंडल की सीमा में आने वाली टीटीई रेस्ट हाउस का है.
इन रेस्ट हाउसों के हाल बेहाल
बताया गया कि टीटीई रेस्ट हाउस, इटारसी, भोपाल, प्रयागराज, छिवकी, झांसी, बीना एवं सिंगरौली स्टेशन पर हैं जिनमें से प्रमुख खामियों में प्रमुख रूप से रेलवे द्वारा ड्राइवरों के रेस्ट हाउस में जो सुविधा हैं, वह टीटीई को नहीं मिल रही, अधिकांश रेस्टहाउस बदहाल हो चुके हैं. पीने का पानी भी नहीं मिलता, निजी हाथों में संचालन देने के बाद खाना और सफाई दोनों व्यवस्थाएं बिगड़ी हुई हैं, बिस्तर है तो मच्छरदानी नहीं. दोनों है तो पंखे खराब हैं.