जबलपुर. शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश की समय सारिणी जारी कर दी गई हैं. शहर के साथ प्रदेश भर में आरटीई के तहत निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए नि:शुल्क प्रवेश की प्रक्रिया 5 मई सोमवार से शुरू हो गई हैं. आवेदन, वेरिफिकेशन और स्कूल आवंटन पूरी तरह ऑनलाइन किए जाएंगे.
मध्यप्रदेश राज्य शिक्षा केंद्र ने नए सत्र 2025-26 के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और वंचित समूह के बच्चों के निजी स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश के लिए आरटीई के तहत समय सारिणी जारी कर दी हंै. इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से पूरा करने के निर्देश जिला कलेक्टरों और परियोजना समन्वयकों को दिए गए हैं.
आरटीई एडमिशन 2025-265 मई 2025 पोर्टल पर मान्यता प्राप्त अशासकीय स्कूलों और सीटों का प्रदर्शन के लिए निर्धारित तिथी के अनुसार 7 से 21 मई तक ऑनलाइन आवेदन और एरर करेक्शन की प्रक्रिया, 7 से 23 मई तक सरकारी जन-शिक्षा केंद्र में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन, 29 मई तक लॉटरी से स्कूल अलोटमेंट और एसएमएस के जरिए सूचना एवं 2 से 10 जून तक स्कूलों में उपस्थिति और मोबाइल ऐप से रिपोर्टिंग की तिथी निर्धारित की गई हैं.
जरूरी दस्तावेजों का रखें ध्यान
आवेदकों को यह ध्यान में रखना जरूरी हैं कि प्रवेश हेतु जरुरी दस्तावेजों में जन्म प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, गरीबी रेखा से नीचे प्रमाण पत्र, माता-पिता का पहचान पत्र जरुरी होंगे.
ऐसे करें आवेदन
अभ्यर्थी अपने गांव/वार्ड और आसपास के गैर-अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों में आवेदन कर सकते हैं. सभी अभ्यर्थियों को अपने मूल दस्तावेज वेरिफिकेशन केंद्र (जन-शिक्षा केंद्र) में अनिवार्य रूप से वेरिफिकेशन कराना होगा. एडमिशन से जुड़ी डिटेल जानकारी एजुकेशन पोर्टल और संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है.
आयुसीमा की जानकारी
शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए आरटीई के तहत विभिन्न कक्षाओं में प्रवेश हेतु आयुसीमा भी निर्धारित कर दी गई है. नर्सरी कक्षा के लिए न्यूनतम आयु 3 वर्ष और अधिकतम 4 वर्ष 6 माह होगी. केजी-1 में प्रवेश के लिए आयु 4 से 5 वर्ष 6 माह के बीच. केजी-2 में 5 से 6 वर्ष 6 माह के बीच.कक्षा 1 के लिए न्यूनतम 6 वर्ष तथा अधिकतम 7 वर्ष 6 माह होना जरूरी है.
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इस आयुसीमा का पालन करते हुए ही आवेदन करना अनिवार्य है. ज्यादा जानकारी के लिए आप ऑफिसियल वेबसाइट पर जा सकते है. ज्ञात हो कि आरटीई (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) यह भारत सरकार द्वारा 2009 में पारित एक कानून है, जो बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है. यह अधिनियम 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए नि:शुल्क शिक्षा को कानूनी अधिकार बनाता है. इस कानून के तहत सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हर बच्चे को नजदीकी स्कूल में दाखिला दे और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दें.
आरटीई एक्ट के अंतर्गत निजी स्कूलों को भी यह अनिवार्य किया गया है कि वे अपनी 25 फीसद सीटें गरीब और कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के बच्चों के लिए आरक्षित रखें. इस कानून में शिक्षा की गुणवत्ता, शिक्षक की योग्यता, स्कूल की बुनियादी सुविधाओं और छात्रों के अधिकारों की भी विस्तार से जानकारी दी गई है.
आरटीई कानून का उद्देश्य यह है कि कोई भी बच्चा गरीबी या भेदभाव के कारण शिक्षा से वंचित न रहे. यह कानून भारत के संविधान के अनुच्छेद 21ए के अंतर्गत आता है और यह बच्चों के समग्र विकास की दिशा में एक मजबूत कदम है.