जबलपुर, देशबन्धु. जबलपुर से कृषि उपज मंडी को बाहर करने की प्रक्रिया के बीच एक नया अपडेट है. जिसमें औंरिया बाय पास के समीप ही शासन को करीब दस एकड़ जमीन मिल गई है, यह जमीन स्कूल बनाने के लिये आवंटित की गई थी, लेकिन किसी कारण स्कूल नहीं बन पाया, इसलिये अब इस जमीन को मंडी निर्माण के लिये दिया जा सकता है. अभी करीब 18 एकड़ जमीन पर सब्जी मंडी को अस्थाई रूप से शिफ्ट कर दिया गया है, यह और बात है कि यहां पर फिलहाल मटर की खरीद बिक्री हो रही है.
प्रशासन के उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कृषि उपज मंडी को पूरी तरह शहर से औंरिय बाई पास के पास करने की कवायद जारी है. मंडी के लिये अभी और जमीन की आवश्यकता है, जिसकी खोज की जा रही थी, इसके चलते जहां पर अभी मटर मंडी है, उसी से लगकर दस एकड़ जमीन का एक मुश्त चक प्रशासन को मिल गया है. इसका उपयोग मंडी बनाने के लिये किया जा सकता है. इसी को ध्यान में रखते हुये मंडी बोर्ड के स्थानीय अधिकारियों ने उक्त प्रस्ताव भोपाल के आला अधिकारियों तक भेज दिया है.
जैसे ही मंडी बोर्ड के आला अधिकारियों की स्वीकृती मिलेगी, उसी के साथ जबलपुर में प्रशासन स्तर पर इस कवायद को आगे बढ़ाया जायेगा.इतने एकड़ हो जायेगी जमीन- बताया जाता है कि दस एकड़ और जमीन मिल जाने पर मंडी निर्माण के लिये लगभग 28 एकड़ हो जायेगी, इसमें सब्जी के साथ फल और आलू प्याज मंडी को आसानी से शिफ्ट किया जा सकता है. ऐसा होता है तो प्रशासन के अधिकारियों की मुश्किल हल हो जायेंगी, जिसे लेकर अधिकारियों की परेशानी बनी हुई है. मंडी शिफ्टिंग को लेकर अधिकारी दवाब मे हैं.
इधर फंस सकता है मामला- वहीं अब तक कृषि उपज मंडी में फल, सब्जी और आलू प्याज का थोक कारोबार करने वाले व्यापारियों को यह पता नही है कि पूर्व के नियम के अनुसार उन्हें दुकान के बदले दुकान मिलेगी या नहीं, अभी इसे मंडी प्रशासन ने स्पष्ट नहीं किया है.
इस बारे में न्यू फल थोक व्यापारी संघ के अध्यक्ष अशरफ भाई ने बताया कि इससे व्यापारियों में ऊहा-पोह की स्थिति है. पहले जब शहर से कृ षि उपज मंडी में हमे शिफ्ट किया गया था, उस समय दुकान के बदले दुकान आवंटित की गई थीं, जिससे आसानी से व्यापारियों को दुकान मिल गई थी.
इस बार ऐसा होता नहीं दिख रहा है. जिससे व्यापारियों की चिंता कम नहीं हो रही है, मंडी प्रशासन को व्यापारियों के हित का ध्यान रखते हुये इस दिशा में उचित दिशा निर्देश जारी करना चाहिये ताकि फल मंडी और दूसरी मंडी के व्यापारियों में व्याप्त असमंजस पर विराम लग सके.