टोक्यो. जापान ने अपने जनसांख्यिकीय इतिहास में एक और गंभीर मोड़ ले लिया है. 2024 में देश की जन्म दर (Total Fertility Rate) गिरकर 1.15 पर पहुंच गई है, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है. इसके साथ ही, पहली बार जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या 7 लाख से नीचे चली गई है. इस साल केवल 6,86,061 बच्चों का जन्म हुआ, जो पिछले साल से 41,227 कम है.
जनसंख्या स्थिरता के लिए खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि किसी देश की जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के लिए न्यूनतम प्रजनन दर 2.1 होनी चाहिए. लेकिन जापान इस स्तर से बहुत पीछे है. देश की बुजुर्ग आबादी लगातार बढ़ रही है और 2024 में 16 लाख से अधिक मौतें दर्ज की गई हैं, जो 2023 के मुकाबले 1.9% ज्यादा हैं.
गांवों में बुजुर्गों का बोलबाला
जापान के 20,000 से ज्यादा गांव और कस्बे ऐसे हैं, जहां 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग बहुसंख्यक हैं. ये क्षेत्र अब “ग्रे जोन” कहलाने लगे हैं, जहां युवा पीढ़ी या तो बहुत कम है या पूरी तरह गायब हो चुकी है.
कामगारों की भारी कमी
12.3 करोड़ की आबादी वाले जापान में अब वर्कफोर्स की भारी कमी होने लगी है. इसका एक प्रमुख कारण है देश के कड़े इमीग्रेशन कानून, जिससे विदेशों से कामगारों का आना लगभग असंभव हो गया है.
सरकार की चिंता और योजनाएं
प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने इस स्थिति को “शांत आपातकाल” बताया है और कहा है कि सरकार लचीले वर्किंग ऑवर्स, प्रजनन अनुकूल नीतियों और गांवों के पुनर्जीवन पर काम कर रही है. सरकार का उद्देश्य है कि युवाओं को शादी और बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित किया जा सके.
एशिया में बढ़ता संकट
जापान के पड़ोसी दक्षिण कोरिया की स्थिति और भी गंभीर है. वहां प्रजनन दर मात्र 0.75 है, जो दुनिया में सबसे कम मानी जाती है. हालांकि 2024 में वहां थोड़ी सुधार की उम्मीद जगी है क्योंकि शादी के मामलों में हल्का उछाल देखा गया है.
भविष्य की चुनौतियाँ
अगर यह प्रवृत्ति ऐसे ही जारी रही, तो जापान को निकट भविष्य में वर्कफोर्स की कमी, वृद्ध आबादी की देखभाल, और आर्थिक विकास में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तुरंत ठोस नीतिगत कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट देश के आर्थिक और सामाजिक ढांचे को हिला सकता है.