नई दिल्ली. बिही दाना एक पारंपरिक औषधीय तत्व है जो सदियों से आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा में इस्तेमाल होता आ रहा है. यह छोटे सफेद बीज होते हैं जो ‘बिही’ फल से प्राप्त किए जाते हैं. अपने औषधीय गुणों के कारण यह दाना आज भी कई घरेलू नुस्खों में प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है.
इसका लाभ कई समस्याओं में देखा जाता है. यदि किसी को गले में खराश, सूखी खांसी या टॉन्सिल की शिकायत हो, तो बिही दाना बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है. इसे रातभर पानी में भिगोकर सुबह उसका जेलनुमा अर्क निकालकर पीने से गले की सूजन और दर्द में राहत मिलती है. इसका शीतल प्रभाव गले को ठंडक देता है और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है.
अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में 10 अक्टूबर 2022 को प्रकाशित रिसर्च स्टडी में बताया गया कि सिडोनिया ओब्लोंगा मिलर (क्विंस) यानी बिही दाना रोसेसी परिवार का एक मोनोटाइपिक जीनस है जिसका उपयोग मधुमेह, कैंसर, संक्रमण और अल्सर जैसी कई चिकित्सा स्थितियों के इलाज या रोकथाम के लिए किया जाता है.
बिही दाना को रात भर पानी में भिगोकर सुबह उसका जेलनुमा अर्क निकालकर पीने से गले की खराश, सूखी खांसी और टॉन्सिल जैसी समस्याओं में राहत मिलती है. इसका शीतल प्रभाव गले की सूजन को कम करता है.
इस बीज में मौजूद म्यूसीलेज (एक प्रकार का प्राकृतिक जेल) पेट की परत को सुरक्षा प्रदान करता है और कब्ज, गैस और एसिडिटी जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है. यह आंतों को भी साफ रखता है.
बिही दाना से तैयार किया गया जेल चेहरे पर लगाने से त्वचा को नमी मिलती है, झुर्रियां कम होती हैं और त्वचा चमकदार बनती है. यह एक नेचुरल मॉइश्चराइज़र की तरह काम करता है.
इसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण पाए जाते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. नियमित रूप से इसका सेवन करने से सर्दी-जुकाम जैसी मौसमी बीमारियों से बचाव होता है.
बिही दाना सांस की नली को साफ करता है और म्यूकस को पतला करने में मदद करता है, जिससे दमा और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों में राहत मिलती है.
बिही दाना को रातभर पानी में भिगो दें. सुबह इसका जेल निकालकर गुनगुने पानी या शहद के साथ सेवन करें. इसका इस्तेमाल चेहरे पर मास्क की तरह भी किया जा सकता है.