यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की खूबसूरती है कि ओडिशा के एक सुदूर आदिवासी गांव से
निकलीं द्रौपदी मुर्मु ने 25 जुलाई को देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति के पद की शपथ ली तो उनके 16
दिन बाद ही राजस्थान के झुंझुनू जिले के एक छोटे से गांव के किसान परिवार में पले-बढ़े जगदीप
धनखड़ ने देश के दूसरे शीर्ष पद यानी उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली…
भारतीय लोकतंत्र में कहने को राज्यपाल का पद राज्य शासन के सर्वोच्च के रूप में होता है, लेकिन
अमूमन राज्यपाल सक्रिय व्यवस्था से अक्सर दूर ही रहते हैं। परंतु जगदीप धनखड़ का नाम ऐसे
राज्यपाल के रूप में लंबे समय तक याद किया जाता रहेगा जो पश्चिम बंगाल में इस पद पर रहते
हुए आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर लगातार सक्रिय रहे हैं। वे राजभवन में समय बिताने की बजाय
लोगों के हित और राज्य के सरोकार को इतनी अहमियत देते हैं कि बतौर राज्यपाल अपना पद
संभालते ही पश्चिम बंगाल की नब्ज को समझने के लिए उन्होंने मात्र तीन महीने में ही करीब 1000
किताबें पढ़ डालीं।
राजस्थान के किसान परिवार में जन्म
उपराष्ट्रपति धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझनू जिले के किठाना में हुआ था।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा कक्षा 1 से 5 तक सरकारी प्राथमिक विद्यालय किठाना गांव में हुई। कक्षा 6
से उन्होंने 4-5 किलोमीटर दूर सरकारी मिडिल स्कूल घरधाना में प्रवेश लिया। वो गांव के अन्य छात्रों
के साथ पैदल स्कूल जाते थे। 1962 में वे सैनिक स्कूल में सफलतापूर्वक उत्तीर्ण हुए। इसके बाद
राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध प्रतिष्ठित महाराजा कॉलेज जयपुर में तीन साल के बीएससी
(ऑनर्स) भौतिकी पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया और वहां से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
सिविल सर्विस छोड़ वकालत को चुना पेशा
12वीं के बाद इनका चयन आईआईटी और फिर एनडीए के लिए भी हुआ था, लेकिन नहीं गए।
स्नातक के बाद उन्होंने देश की सबसे बड़ी सिविल सर्विसेज परीक्षा भी पास कर ली थी। हालांकि,
आईएएस बनने की बजाय उन्होंने वकालत का पेशा चुना। उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत भी
राजस्थान हाईकोर्ट से की थी। 1987 में वे राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, जयपुर के
अध्यक्ष के रूप में चुने गए सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे। एक साल बाद, वे 1988 में राजस्थान बार
काउंसिल के सदस्य भी बने। सुप्रीम कोर्ट में भी वकील के रूप में उन्होंने खुद को स्थापित किया। वे
राजस्थान ओलंपिक संघ व राजस्थान टेनिस संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
लोकसभा सदस्य के रूप में सक्रिय
राजनीति की शुरुआत
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने 1989 में झुंझुनू से लोकसभा चुनाव लड़ा और विजय हासिल की। 1990 से
लेकर 1993 तक वे केन्द्र सरकार में संसदीय मामलों के राज्यमंत्री रहे। बाद में वे राजस्थान के
अजमेर जिले के किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। उनके पास प्रशासनिक कार्यों का एक
लंबा अनुभव रहा है। 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया था। 11 अगस्त को
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें उपराष्ट्रपति की पद की शपथ दिलाई।