कर्नाटक का विजयपुरा जिला कभी सूखा, गर्मी और पानी की किल्लत के लिए बदनाम था, लेकिन अब यह हरित क्रांति का प्रतीक बन चुका है. पिछले 10 सालों में यहां 1.5 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए गए, जिससे न केवल जलस्तर सुधरा बल्कि पूरा इकोसिस्टम भी रिवाइव हो गया.
कर्नाटक के उत्तरी हिस्से में स्थित विजयपुरा (Vijayapura) आज हरित क्रांति का प्रतीक बन चुका है. कभी सूखा, गर्मी और पानी की किल्लत के लिए मशहूर यह जिला अब अपनी हरियाली और पर्यावरणीय सुधारों के लिए जाना जाता है. कर्नाटक सरकार के मल्टी-मिलियन डॉलर प्रोजेक्ट के तहत यहां पिछले दस सालों में 1.5 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं. इस प्रयास ने न सिर्फ जलस्तर बढ़ाया बल्कि पूरे इकोसिस्टम को रिवाइव कर दिया.
विजयपुरा प्रशासन ने 2016 से शुरू हुई इस परियोजना में सदियों पुराने तालाबों और झीलों को पुनर्जीवित किया. नहरों और ऊंची नलिकाओं का निर्माण कर नदियों का पानी मोड़ा गया, जिससे भूजल स्तर में बहुत ज्यादा सुधार हुआ. आज पेड़ की हरियाली विजयपुरा के उत्तरी सिरे से लेकर दक्षिणी ग्रामीण इलाकों तक फैली हुई है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की नींव 2016 की गर्मियों में पड़ी, जब तत्कालीन जल संसाधन मंत्री एम. बी. पाटिल को पता चला कि विजयपुरा का वन आवरण सिर्फ 0.17% है. उन्होंने वन विभाग, सामाजिक संस्थाओं और निजी निवेशकों के साथ मिलकर करीब 2 अरब रुपये (लगभग 22 मिलियन डॉलर) का निवेश कर यह अभियान शुरू किया. 14 नए सरकारी नर्सरी खोले गए, जहां बड़, इमली, आम, जामुन, नीम सहित 200 से अधिक प्रजातियों के पौधे तैयार किए गए.
शुरुआत में किसान ऐसे पौधे लगाने से हिचकिचा रहे थे जिनसे तुरंत आर्थिक फायदा नहीं मिलता. तब सरकार ने उनसे उनकी पसंद पूछी और आम, जामुन, नीम जैसे फलदार पौधों की खेती शुरू की. किसानों को नि:शुल्क पौधे दिए गए या 10 रुपये से कम की सब्सिडी दर पर बेचे गए. इसके अलावा 17,000 एकड़ में सरकारी निगरानी में पौधारोपण किया गया, और गांवों में सामुदायिक फॉरेस्ट ब्लॉक बनाए गए.
प्रमुख उपलब्धियां
* जल संरक्षण और तालाब पुनर्जीवन: पुराने तालाबों व झीलों को फिर से जिंदा किया गया, नहरों से नदियों का पानी मोड़ा गया.
* तापमान में गिरावट: 2017 से 2023 के बीच औसत तापमान में 0.6°C की कमी दर्ज.
* वन्यजीवों की वापसी: काले हिरण, तेंदुए और दुर्लभ पक्षियों ने वापसी की.
* 200 प्रजातियों के पेड़: बड़, नीम, आम, इमली और जामुन जैसी प्रजातियों का बड़े पैमाने पर रोपण.
* किसानों की भागीदारी: फ्री और सब्सिडी दर पर पौधे, फलदार पेड़ों की खेती को बढ़ावा.
* आधुनिक तकनीक: ड्रिप इरिगेशन और सोलर पैनल से पौधों की सुरक्षा.
* जन आंदोलन: स्कूलों, कॉलेजों और आम नागरिकों ने इसे “ग्रीन मिशन” बना दिया.
71 वर्षीय नानासाहेब पाटिल कहते हैं –“मैं वह लौटाने की कोशिश कर रहा हूं जो हमने 1972 के अकाल में खो दिया था.
अब विजयपुरा का यह मॉडल महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में लागू करने की तैयारी है.