नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने Gold Reserve के मामले में एक नया रिकॉर्ड कायम किया है. मार्च 2025 तक देश का सोने का भंडार 879.58 टन तक पहुंच गया है, जो कि 2020 के मुकाबले करीब एक-तिहाई ज्यादा है. इससे भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी बढ़कर 12% हो गई है, जबकि 2024 में यह सिर्फ 8.3% थी. यह जानकारी वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council – WGC) के ‘सेंट्रल बैंक गोल्ड रिजर्व सर्वे 2025’ से सामने आई है.
क्यों बढ़ रहा है गोल्ड में निवेश?
WGC के सर्वे के मुताबिक, दुनिया भर के 95% केंद्रीय बैंकों का मानना है कि आने वाले 12 महीनों में गोल्ड रिजर्व और बढ़ेगा. वहीं, 43% केंद्रीय बैंक खुद भी अपने सोने के भंडार को बढ़ाने की योजना बना चुके हैं.
इसकी मुख्य वजहें:
डायवर्सिफिकेशन की जरूरत
जियोपॉलिटिकल रिस्क
ग्लोबल इकॉनमी में अनिश्चितता
यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ECB) के आंकड़ों के अनुसार, दो-तिहाई बैंकों ने कहा कि उनका गोल्ड में रुख बदलने की मुख्य वजह जोखिम से बचाव और सुरक्षित संपत्ति में निवेश करना है.
क्या डॉलर की घटेगी चमक?
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि आने वाले समय में ग्लोबल रिजर्व में डॉलर की हिस्सेदारी घट सकती है. इसके पीछे कई कारण हैं:
Triumph Speed T4 लॉन्च: सिर्फ 2.05 लाख में दमदार परफॉर्मेंस और ‘बाजा ऑरेंज’ का अनोखा स्टाइल
अमेरिका की आर्थिक नीतियों में अनिश्चितता
डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ फैसले
व्यापार घाटा और बढ़ता अमेरिकी कर्ज
ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ का ऐलान किया, जिससे ग्लोबल ट्रेड और डॉलर दोनों पर दबाव बढ़ा है. यही वजह है कि कई देश अब डॉलर के बजाय गोल्ड और दूसरी मुद्राओं में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं.
क्या है भारत की रणनीति?
RBI का गोल्ड रिजर्व बढ़ाना यह दर्शाता है कि भारत भी ग्लोबल इकोनॉमिक रिस्क को देखते हुए अपनी मुद्रा रणनीति को संतुलित कर रहा है. सोना एक सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जाता है, खासकर जब वैश्विक स्तर पर अस्थिरता हो.
क्या करें निवेशक?
अगर आप भी निवेश के विकल्प तलाश रहे हैं, तो: सोने और चांदी में निवेश एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है. ग्लोबल घटनाओं पर नजर रखें, क्योंकि यह सीधे बाजार को प्रभावित करती हैं. डॉलर आधारित निवेशों पर पुनर्विचार करना उपयोगी हो सकता है.