जबलपुर. लाड़ली बहना पर योजना पर इस कदर ध्यान दिया जा रहा है कि लाड़ली लक्ष्मी योजना न सिर्फ कमजोर पड़ रही हैं बल्कि जबलपुर संभाग के कई जिलों में हजारों बेटियों तक किश्त नहीं पहुंच पाई हैं. यह स्थिति केवल जबलपुर संभाग की ही नहीं अपितु समूचे प्रदेश की हैं. शासन द्वारा लाड़ली लक्ष्मी योजना के लिए कई जिलों में बजट की कमी की वजह से संभाग की करीब 27 हजार से अधिक बालिकाओं को पिछली किश्त नहीं मिली.
यह था उद्देश्य
लाड़ली लक्ष्मी योजना का उद्देश्य बालिकाओं के शैक्षणिक स्तर और स्वास्थ्य में सुधार लाना है. यह योजना विशेष रूप से गरीब और जरूरतमंद परिवारों की बालिकाओं के लिए शुरू की गई थी, ताकि उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार हो सके. इसके तहत, योग्य बालिकाओं के खाते में प्रतिवर्ष छह हजार रुपये जमा किए जाते हैं, जो पांच वर्षों तक जारी रहते हैं.
कई जिलों में नहीं योजना का बजट
जबलपुर संभाग के कुछ जिलों सहित कई जिलों में इस योजना के तहत पिछले वित्तीय वर्ष की किश्तें अब तक नहीं दी जा सकी हैं. इन जिलों में संभाग के बालाघाट, छिंदवाड़ा, ग्वालियर के साथ झाबुआ जिला प्रमुख हैं. बताया जा रहा है कि इन जिलों में बजट की कमी के कारण पैसे जारी नहीं हो पाए हैं. अधिकारी इस बात की पुष्टि तो कर रहे हैं कि शासन स्तर से जल्द ही राशि जारी करने का आश्वासन दिया गया है लेकिन राशि कब तक आ पाएगी इसका जवाब उनके पास नहीं हैं.
क्यों दम तोड़ रही योजना
लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत वर्ष 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई थी. इसका उद्देश्य बालिकाओं के जन्म को लेकर समाज में सकारात्मक सोच बढ़ाना, लिंग अनुपात में सुधार करना, और उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य को बेहतर बनाना था. इस योजना के तहत, प्रत्येक पात्र बालिका के खाते में प्रतिवर्ष छह हजार रुपये जमा किए जाते हैं. 21 वर्ष की आयु में, इस राशि में ब्याज जुड़कर बालिका को कुल एक लाख 43 हजार रुपये मिलते हैं.
लाडलियों को नहीं मिल पा रहा लाभ
लाड़ली लक्ष्मी योजना के बजट अब तक अलग से होता था और प्रत्येक वर्ष शासन स्तर से यह राशि जिलों को आवंटित की जाती है. आमतौर पर यह बजट 20 से 31 मार्च के बीच जारी किया जाता है लेकिन इस वर्ष अप्रैल के पहले सप्ताह तक कई जिलों में यह राशि जारी नहीं की जा सकी है. इससे कई बालिकाओं को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.