सिंगरौली, देशबन्धु. ग्राम पंचायत डिग्घी की विवादास्पद सचिव देवकुमारी शाह के कारनामों की जांच के बाद मप्र उच्च न्यायालय ने उन्हें लगभग 28 लाख रुपए के गबन के साथ ही कई बिंदुओं पर दोषी ठहराते हुए रिकवरी के आदेश दिए थे। साथ ही सचिव सहित इस गबन में शामिल अन्य कर्मचारियों को 18 मार्च तक वित्तीय अनियमितता की राशि को जिला पंचायत के खाते में जमा करने के लिए आदेश दिए थे, साथ ही कोर्ट में हाजिर होकर जबाव पेश करने के लिए कहा था, लेकिन सचिव ने मेडिकल अवकाश ले लिया, वही वसूली कार्यवाही और कलेक्टर व जनपद पंचायत की जांच को झूठा बताकर पुन: जांच करवाने का दबाव एक सत्ताधारी जनप्रतिनिधि से डलवाकर तीसरा जांच दल गठित करवाकर जिले के चुनिंदा अधिकारियों घटिया निर्माण करने का जिम्मा सौंपा गया है। इस तरह जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा सचिव को बचाने की कोशिश की जा रही है।
गौरतलब है कि जो जांच 4 साल से एक स्थानीय जनप्रतिनिधि के इशारे पर जिला के अधिकारी दबा दिए उसकी उच्च स्तरीय शिकायत प्रमुख सचिव पंचायत ग्रामीण विकास संचालक, पंचायत राज संचनालय कमिश्नर रीवा, कलेक्टर सिंगरौली से की गइ। फलस्वरूप कलेक्टर सिंगरौली के द्वारा दिए गए निर्देश पर एसडीएम सिंगरौली द्वारा जांच करवाई गई, जिसमें भारी भ्रष्टाचार वित्तीय अनियमितता जांच दल को मिली जिसका पंचनामा मौके पर तैयार कर उच्च अधिकारियों को सौंपा गया, लेकिन जिला के अधिकारियों ने सत्तापार्टी के एक जनप्रतिनिधि के दबाव पर कार्रवाई नहीं की, जिससे मजबूर होकर सूचना अधिकार के तहत जानकारी लेकर मप्र उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर की गई।
विद्वान न्यायधीश ने गंभीर अनियमितता पर चार सप्ताह में कार्यवाही करने का आदेश जारी किया। आनन फानन में जिला पंचायत द्वारा एक सप्ताह के अंदर कार्यवाही कर भ्रष्टाचार के आरोप में लगभग 28 लाख के ख़यानत का मामला सिद्ध कर वसूली के लिए 18 मार्च को तारीख मुकर्रर की गई। जिससे एक जन प्रतिनिधि ने भ्रष्ट सचिव को बचाने के लिए कलेक्टर तथा जनपद की जांच को झूठा साबित करने के अपने चुनिंदा अधिकारियों का जांच दल गठित कर दिया।
स्थानीय ग्रामीण शिकायकर्ताओं ने कहा है कि अगर सचिव को एक सत्ताधारी नेता जनप्रतिनिधि के इशारे पर बचाया जाता है तो हम शिकायकर्ता जांच दल में शामिल अधिकारियों को उच्च न्यायालय में पार्टी बनायेगे, क्योंकि दोनों जांच दल में भारी भ्रष्टाचार उजागर होकर वसूली हेतु जारी हुआ है, लेकिन भ्रष्ट एक नेता के इशारे पर मनमाफिक अधिकारियों से जांच दल में हुए खुलाशे को दबाकर मनमाफिक रिपोर्ट लेकर सचिव को बचाने हेतु मौका दिया गया है नियत तिथि को सचिव का जवाब देने न आना ख़यानत की राशि जमा ना कर मेडिकल अवकाश लेकर वसूली की राशि को झुठलाने हेतु भ्रष्ट नेता के कहने पर तीसरा जांच दल गठित कर बचाने का सफल प्रयास है।
बहरहाल अभी शिकायत कर्ताओं ने जारी प्रेस बयान में कहा है कि अगर जांच में वसूली की राशि को कम किया गया सचिव को क्लीन चिट दी गई तो जांच दल में शामिल सभी अधिकारियों को उच्च न्यायालय में भ्रष्टाचार का आरोपी बनाए जाने हेतु पुन: पिटिशन दायर की जाएगी।