सतना, देशबन्धु. गौशाला निर्माण के लिए ग्राम पंचायतें जितनीं उतावलीं थीं वह अंदाज संचालन के लिए देखने को नहीं मिल रहा। भवन बनाने में लाखों रुपए फूकने के बाद तमाम ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जिनके द्वारा संचालन नहीं किया जा रहा।
ऐसी ही एक ग्राम पंचायत नागौद ब्लॉक की झिंगोदर है। इस पंचायत में गौशाला का निर्माण पूर्व सरंपच के कार्यकाल में हुआ। लगभग 32 लाख रुपए का मूल्यांकन कर राशि का आहरण कर लिया गया, लेकिन इस भवन में किसी भी गौवंश को कोई सहारा नहीं मिला। पूर्व सरपंच अपने कार्यकाल समाप्त होने का रोना रो रहीं हैं, जबकि वर्तमान सरपंच सरकारी आदेश के इंतजार में बैठे हैं। वहीं स्थिति यह है कि सब कुछ होने के बाद भी गौशाला की उपयोगिता शून्य है। जो सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात है।
हैंडओवर का फोड़ रहे ठीकरा
बताया जाता है कि पंचायत की तत्कालीन सरपंच बीना विश्वकर्मा के कार्यकाल में पंचायत में गौशाला निर्माण की मंजूरी मिली। 37 लाख रुपए की लागत से बनने वाली गौशाला का निर्माण करने के बाद मूल्यांकन कर लगभग 32 लाख रुपए आहरित कर लिए गए। राशि आहरण के बाद कुछ दिनों तक सरपंच के द्वारा एक चौकीदार नियुक्त किया गया। जिसने देखरेख की। वर्ष 2022 में पंचायत के चुनाव हुए। जिसके बाद सरपंच रमेश प्रसाद प्रजापति को चुन लिया गया। सरपंच का दावा है कि उन्हें अभी तक गौशाला हैंडओवर नहीं की गई। जबकि पूर्व सरपंच का कहना है कि उन्होंने सभी रिकार्डों सहित गौशाला का चार्ज नए सरपंच को दिया था। सच क्या है यह दोनों सरपंच ही जानें लेकिन यह सच है कि गौशाला का संचालन नहीं हो पा रहा है।
आखिर किसने चुना स्थल
वर्तमान सरपंच की माने तो गौशाला का संचालन नहीं होने के कई कारण हैं। पहला तो उन्हें शासन से कोई दिशा-निर्देश नहीं दिया गया। दूसरा जिस जगह पर गौशाला का निर्माण हुआ है वहां पर कोई रास्ता नहीं है। गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने रास्ते पर कब्जा कर रखा है, ऐसे में यदि यहां गौवंश रखे गए तो उन्हें निकलने नहीं दिया जाए। उन्होंने स्थान को लेकर सवाल उठाया। ऐसे में सवाल यही उठता है कि विवादित जमीन पर गौशाला का निर्माण कर शासन की राशि का दुरूपयोग किसने किया?
टीन उड़ी, तारें गायब
ग्रामीणों की माने तो यहां पर गौशाला का अधिकांश सामान चोरी हो चुका है। शेड में लगाई गई टीन का बड़ा भाग गायब है। इसके अलावा बिजली कनेक्शन के लिए लगाई गई वायर भी चोरी हो गई हैं। इतने के बाद भी अब तक किसी अधिकारी ने इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया और न ही कोई कार्रवाई हो रही। ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव का भी कोई तालमेल आपस में नहीं है।
इनका कहना है
मेरे कार्यकाल में गौशाला का निर्माण हुआ इसके बाद चुनाव हो गए। मेरी देखरेख में गौशाला सही थी। यह वर्तमान सरपंच का जिम्मा था कि वह उसका संचालन और संधारण करें। देखरेख के अभाव में गौशाला भवन
खंडहर हो गया है।
बीना विश्वकर्मा, पूर्व सरपंच झिंगोदर
000000
मुझे अभी तक गौशाला का कोई चार्ज नहीं मिला। चार्ज मिलने की बात सरासर गलत है। गौशाला के संचालन के संबंध में कोई जानकारी शासन स्तर से नहीं मिली। जिस जगह पर गौशाला बनी है वहां रास्ता भी नहीं है ऐसे में संचालन कैसे किया जा सकता है?
रमेश प्रजापति, सरपंच झिंगोदर