गांधीग्राम, देशबन्धु. गांधीग्राम सिहोरा क्षेत्र की जीवनरेखा मानी जाने वाली हिरन नदी, जो मानसून के पूरी तरह सक्रिय न होने और भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण लगातार तीसरी बार सूख गई थी, सोमवार रात और मंगलवार सुबह हुई मानसूनी बारिश के बाद एक बार फिर कल-कल बह उठी है।
घाटसिमरिया स्थित जलविहीन हिरन नदी में ऊपरी क्षेत्रों से बरसाती पानी एकत्रित होकर लगभग तीन बजे के आसपास तेज बहाव के साथ पहुंचा, जिससे नदी किनारे बसे गांवों के लोगों ने राहत की सांस ली है। हालांकि, यह अस्थायी राहत इस बात पर जोर देती है कि क्षेत्र को स्थायी जलसंकट से उबारने के लिए दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है।
तीसरी बार सूखी थी नदी, ग्रामीणों में थी गहरी चिंता- जून माह के अंत में हिरन नदी की जलधारा का फिर से बंद हो जाना इस भीषण गर्मी में पानी की कमी की चिंता को और बढ़ा रहा था। मानसून से पहले ही मुख्य कैनाल से पानी की सप्लाई बंद कर दी गई थी, जिससे हिरन नदी में पानी नहीं पहुंच पा रहा था।
इससे पहले, इसी जून माह में बरगी दांयी तट की मुख्य कैनाल से कुछ समय के लिए पानी छोड़े जाने से नदी में प्रवाह लौटा था, लेकिन मानसून की धीमी गति के कारण यह राहत अल्पकालिक साबित हुई और नदी एक बार फिर रेगिस्तान जैसी दिख रही थी । हिरन नदी का लगातार सूखना और भूजल का अनियंत्रित दोहन इस गंभीर संकट का मुख्य कारण बन गया है।
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ग्रामीण क्षेत्रों में भयावह स्थिति और अब खुशी की लहर- हिरन नदी से लगे दर्जनों गांवों जैसे खिन्नी, कैथरा, चनौटा, मल्हना, कूड़ा, कंजई, घाटसिमरिया, मोहतरा, ताला, देवरी और शहजपुरा में पीने के पानी की भारी कमी हो गई थी।
भूजल स्तर लगातार नीचे गिर रहा था, और कई गांवों में हैंडपंप पूरी तरह से सूख गए थे, जिससे ग्रामीण इलाकों में लोग पेयजल के लिए खेतों के बोरवेल पर निर्भर होने को मजबूर थे। मंगलवार को जैसे ही हिरन नदी के किनारे स्थित गांवों से नदी का पानी प्रवाहित हुआ, आमजन ने राहत की सांस ली।
विशेषज्ञों की चेतावनी और ग्रामीणों की उम्मीदें पूरी हुई- विशेषज्ञों का मानना है कि हिरन नदी का पानी ही इन क्षेत्रों में जलस्रोतों में पीने के पानी का स्तर बनाए रखता है। जून माह में तापमान में वृद्धि के साथ, यह जलसंकट और भी विकराल रूप ले रहा था। ग्रामीणों का कहना था कि अच्छी बरसात होने पर ही हिरन नदी में पानी की आस है। सोमवार रात और मंगलवार सुबह की बारिश ने उनकी इस आस को पूरा किया है।
अस्थायी राहत, स्थायी समाधान की दरकार- वर्तमान में हुई बारिश से मिली यह राहत निश्चित रूप से तात्कालिक है। स्थानीय प्रशासन और सरकार से इस गंभीर स्थिति पर तत्काल ध्यान देने और स्थायी समाधान खोजने की अपील की जा रही है, ताकि क्षेत्र को इस गंभीर जलसंकट से उबारा जा सके।