जबलपुर. बस, ट्रेनों सहित आवागमन के अन्य साधनों में सफर के दौरान अत्यधिक किराए की मार झेल रहे यात्रियों के लिए यह खबर राहत भरी हो सकती हैं कि शहर के साथ प्रदेश के 6 शहरों में अक्टूबर माह से इलेक्ट्रिक बसो (ई-बसों) को संचालन शुरु हो जाएगा. जबलपुर के साथ इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन और सागर में 552 ई-बसें चलेंगी. पर्यावरण संरक्षण और बेहतर शहरी परिवहन को बढ़ावा देने के माध्यम से हो रही यह शुरुआत देंगी.
संचालन जीसीसी मॉडल पर होगा. यात्रियों से 2 रुपए प्रति किमी में सफर करने की सुविधा मिलेगी. योजना में 10 नए डिपो, चार्जिंग स्टेशन और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं. इनमें से 472 मिडी बसें होंगी जिनमें 26 यात्री बैठ सकते हैं, जबकि 110 मिनी बसें 21 सीटर होंगी. प्रदेश के अन्य महानगरों को हो रहे बस आवंटन के हिसाब से जबलपुर जिले के लिए जितनी बसों का आवंटन हो रहा हैं उससे शहर के नागरिकों ने शहर के साथ सौतेले व्यवहार का आरोप लगाया हैं.
केंद्र सरकार से भी मिलेगा सब्सिडी
बताया जा रहा हैं कि ई-बस संचालन के लिए केंद्र सरकार से भी सब्सिडी मिलेगी. इसके लिए सरकार का खर्चा 58.14 रुपए प्रति किमी होगा जिसमें से 22 रुपए केंद्र सरकार देगी. ई-बसों का संचालन ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) मॉडल पर होगा. इस मॉडल के तहत ऑपरेटर को हर किलोमीटर संचालन के लिए 58.14 का भुगतान किया जाएगा. जिसमें से 22 केंद्र सरकार वहन करेगी. यात्रियों के लिए अनुमानित किराया 2 रुपए प्रति किलोमीटर होगा. जो वर्तमान की सिटी बस सेवाओं की तुलना में काफी सस्ता होगा.
जबलपुर छोड़ अन्य शहरों में बन रहे डिपो-हाई पावर चार्जिंग स्टेशन
भोपाल, इंदौर, उज्जैन और सागर में बस संचालन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बनेगा. सरकार बस संचालन के लिए जरूरी ढांचा खड़ा करने में भी तेजी से काम कर रही है. इसके अंतर्गत 10 इलेक्ट्रिक बस डिपो बनाए जाएंगे. भोपाल के बैरागढ़ और कस्तूरबा नगर में 14 करोड़ की लागत से डिपो बनेगा. वहीं इंदौर में नायता मुंडला और चंदन नगर में 6 करोड़ की लागत से डिपो और पावर स्टेशन बनेंगे. वहीं उज्जैन और सागर में एक एक डिपो बनेंगे. इन डिपो के पास ही चार्जिंग स्टेशन लगाए जाएंगे और 41 किमी लंबी हाई टेंशन लाइन बिछाई जाएगी, जो चार्जिंग को स्थिर बनाएगी. इस सूची में जबलपुर का नाम नहीं हैं.
यात्री सुविधा के अनुसार तय होंगे रूट और टाइमिंग
बसों (ई-बसों) का संचालन मोबिलिटी प्लान पर आधारित होगा. ट्रेन टाइम और ट्रैफिक पैटर्न के हिसाब से टाइमिंग तय होगी. हर शहर के लिए 20 साल की जनसंख्या वृद्धि को ध्यान में रखते हुए मोबिलिटी प्लान तैयार किया जा रही है. इसमें मेट्रो, ऑटो, बस और साइकिल मार्गों का समावेश होगा. शताब्दी ट्रेन आवागमन, ऑफिस टाइम और ट्रैफिक पैटर्न के अनुसार ई-बसों के रूट और समय तय किए जाएंगे ताकि यात्रियों को ज्यादा इंतजार न करना पड़े.
टिकटिंग सिस्टम में आएगा बड़ा बदलाव, मिलेगा एनसीएमसी कार्ड
मैट्रो, बस और सायकल सर्विस के लिए एक ही कार्ड से भुगतान यात्रियों को डिजिटल सुविधा प्रदान करने के लिए बसों में नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) लागू किया जाएगा. इससे यात्री मेट्रो, बस और साइकिल सेवाओं के लिए एक ही कार्ड से भुगतान कर सकेंगे. किराया निर्धारण की जिम्मेदारी स्पेशल पर्पस व्हीकल (एसपीवी) को सौंपी गई है.
भोपाल में रोज 1.52 लाख यात्री करते हैं बसों का इस्तेमाल
भोपाल में प्रतिदिन करीब 1.52 लाख यात्री पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करते हैं, जिनमें से 70 फीसद लोग पैदल बस स्टॉप तक पहुंचते हैं. इस ट्रैफिक डाटा को ध्यान में रखते हुए 1200 किलोमीटर रोड नेटवर्क कनेक्टिविटी योजना तैयार की गई है, जिससे मेट्रो स्टेशनों और बस नेटवर्क के बीच आसान कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी.