मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में बाघों के संगठित शिकार और तस्करी के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में चार हफ्तों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाए.
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल की दलीलों पर संज्ञान लिया. याचिका में दावा किया गया है कि बाघों का शिकार संरक्षित क्षेत्रों के बाहर अधिक हो रहा है, जहां निगरानी और सुरक्षा बेहद कमजोर है.
महाराष्ट्र सरकार की एसआईटी जांच में यह सामने आया कि शिकारी, तस्कर और हवाला नेटवर्क मिलकर एक संगठित गिरोह चला रहे हैं, जो बाघों की खाल, हड्डियों और ट्रॉफी को राज्य से बाहर और विदेशों तक तस्करी करता है.
वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India) की रिपोर्ट के अनुसार, बाघों के फैलाव और प्रजनन के लिए वन कॉरिडोर और संरक्षित क्षेत्रों के बाहर के वन प्रभाग बेहद महत्वपूर्ण हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि देश के 30% से अधिक बाघ संरक्षित क्षेत्रों के बाहर पाए जाते हैं, जिससे वे शिकारियों के आसान निशाने पर आ जाते हैं.
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अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई जांच की मांग की और आरोप लगाया कि इस अवैध नेटवर्क में वन गुर्जर समुदाय जैसे आदिवासी समूहों से जुड़े गिरोह भी शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर मुद्दे पर केंद्र सरकार और NTCA से जवाब मांगा है, ताकि बाघ संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें.