भोपाल. मध्य प्रदेश में मतदाता सूची की मैपिंग का काम तेजी से किया जा रहा है. इसके पश्चात पुनरीक्षण का काम किया जायेगा.दौरान अपनी नागरिकता के दस्तावेज दिखाने होंगे। निर्वाचन आयोग को रिपोर्ट भेजी जा रही है और पुनरीक्षण कार्यक्रम से पहले राजनीतिक दलों के समक्ष इस डेटा को रखा जा सकता है।
अक्टूबर माह में ये प्रक्रिया डोर टू डोर शुरू हो सकती है। प्रदेश में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण 22 साल बाद हो रहा है। पुनरीक्षण कार्यक्रम जारी करने से पहले चुनाव आयोग ने 2003 की मतदाता सूची से 2025 की मतदाता सूची का मिलान कराया। इस प्रक्रिया में कई मतदाताओं के नाम 2003 की सूची में नहीं मिले, जिससे उन्हें अब अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
इन लोगों को दिखाने होंगे दस्तावेज – इन मतदाताओं के नाम 2003 की एसआईआर में शामिल हैं, उन्हें सिर्फ अपने नाम की पुष्टि करनी होगी और गणक पत्रक भरना होगा। उन्हें कोई दस्तावेज नहीं दिखाना होगा। ऐसे मतदाता, जिनके माता-पिता में किसी एक का नाम 1 जनवरी 2003 तक मतदाता सूची में है, उन्हें नामांकन के लिए कोई दस्तावेज नहीं दिखाना होगा।
इन्हें सिर्फ माता-पिता का एपिक नंबर बताना होगा। ऐसे सभी वोटर जिनका जन्म 1987 के बाद हुआ है और जिनका नाम वोटर लिस्ट में 2003 के बाद आया है, उन्हें बताना होगा कि उनके माता-पिता का वोटर लिस्ट में कहां नाम था। जिन मतदाताओं का नाम 2003 की वोटर लिस्ट में नहीं मिल रहा है और अब उनका नाम वोटर लिस्ट में आया है, उन्हें नागरिकता के दस्तावेज दिखाने होंगे।
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इन 11 दस्तावेज को रखें अपने पास – कर्मचारी हैं तो दिखाना होगा पहचान पत्र, संस्था, पोस्ट ऑफिस, बैंक, एलआईसी द्वारा जारी पहचान पत्र, प्राधिकृत एजेंसी का जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, विश्वविद्यालय व बोर्ड से जारीे शिक्षा संबंधी अंकसूची, प्रमाण पत्र, स्थानीय निवास प्रमाण पत्र, वन अधिकारी प्रमाण पत्र, एसटी, एसी, ओबीसी या कोई और जाति प्रमाण पत्र, नेशनल रजिस्टर सिटीजन, परिवार का पंजीयन, सरकार द्वारा जमीन, मकान का प्रमाण पत्र.