चिचोली. महर्षि वाल्मीकि जन्म जयंती के अवसर पर प्रति वर्ष अनुसार वाल्मीकि समाज के माता बहनों बंदुओ के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनके बीच पहुंचकर महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाई इस दौरान महर्षि वाल्मीकि छाया चित्रों पर तिलक लगाकर पुष्प माल्यार्पण आरती के पश्चात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वक्ता, द्वारा महर्षि वाल्मीकि के जीवन में प्रकाश डाला,
महर्षि वाल्मीकि के दस्यु ,डाकू जीवन से ऋषि बनने की कहानी में डाकू रत्नाकर का सामना नारद मुनि से होता है जो उन्हें उनके पापों के बारे में सोचने एवं परिवार से पूछने को कहते हैं कि क्या वे भी उनके पापों के भागीदार होंगे परिवार के इनकार के बाद रत्नाकर को अपनी भूल का एहसास होता है.
नाराज मुनि के कहने पर ,मरा मरा ,,जब से उनके मुंह से राम-राम नाम निकलता है या घटना उनके जीवन में परिवर्तन लाती है और तपस्या करते हुए आत्मज्ञान प्राप्त होता आत्मज्ञान प्राप्त होता है जिनसे,वे रत्नाकर से वाल्मीकि बन जाते हैं जिन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता के रूप में जानते हैं.
इसमें वाल्मीकि समाज के परिवार एवं बच्चों माताएं बहनों ने भाग लिया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिनेश आर्य , सुनील साठे ,विनोद छावनकर ,राकेश सोनी चंदन सोनी, श्याम सोनी,सागर सोनी सागर आर्य ,राजू पंडाग्रे एवं वाल्मीकि समाज के मुख्य संजू वाल्मीकि उपस्थित रहे भोजन प्रसाद के बाद कार्यक्रम समाप्त हुआ.