जबलपुर,देशबन्धु. अपने कुप्रबंधन, अनियमितताओं और फजीवाड़ों के साथ अनाप-शनाप भुगतान के लिए प्रदेश के साथ पूरे देश में कुख्यात हो चुके मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (मेडिकल विवि) अब नर्सिंग और पैरामैडिकल पाठ्यक्रम विधिवत छीन लिए गए हैं। मेडिकल विवि से संबद्ध नर्सिंग कॉलेजों में पाई गई गड़बडिय़ों और अनियमितताओं को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उच्च शिक्षा विभाग ने अब इन पाठ्यक्रमों की निगरानी, प्रवेश प्रक्रिया और शैक्षणिक सत्र संचालन पूरी तरह क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों के अधीन कर दिया हैं।
उच्च शिक्षा विभाग ने यह बड़ा फैसला लेते हुए नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्स अब क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों के अधीन कर दिए हैं। 2025-26 सत्र से प्रदेश में नर्सिंग व पैरामेडिकल कॉलेजों को क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों से संबद्ध होना अनिवार्य किया गया है। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है।
यानि प्रदेश में नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्सेस संचालित करने वाले कॉलेजों को अब मेडिकल यूनिवर्सिटी से नहीं, बल्कि संबंधित क्षेत्रीय विवि से संबद्धता लेनी होगी। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 11 अप्रैल 2025 को आदेश जारी कर दिए गए।
शैक्षणिक कैलेंडर भी किया जारी
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में शैक्षणिक कैलेंडर और प्रमुख तिथियां भी जारी कर दी गई हैं। 2025-26 सत्र के लिए वार्षिक शैक्षणिक कैलेंडर में प्रवेश से लेकर कक्षाओं की शुरुआत तक की तारीखों का स्पष्ट उल्लेख है। इसमें पाठ्यक्रम अध्यादेश प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल प्रवेश परीक्षा की अवधि 15 मई से 31 जुलाई तक, मान्यता प्रक्रिया (काउंसिल द्वारा) 1 जून से 30 जुलाई तक, काउंसलिंग व प्रवेश प्रक्रिया 1 अगस्त से 15 अक्टूबर तक, एनओसी प्राप्त करने की अवधि 1 अगस्त से 31 अगस्त तक, विवि से संबद्धता की अंतिम अवधि 1 सितंबर से 15 अक्टूबर तक एवं कक्षाएं प्रारंभ होने की तिथि 1 नवंबर से निर्धारित की गई हैं।
ये होंगे बदलाव
इससे होने वाले बदलावों में प्रमुख रूप से अब राज्य के सभी निजी व सरकारी नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कॉलेजों को संबंधित क्षेत्रीय विवि से संबद्धता लेनी होगी, सभी संबद्धता, एनओसी और मान्यता प्रक्रियाएं ऑनलाइन और पारदर्शी होंगी, संबंधित जानकारी विवि व विभाग की वेबसाइटों पर समय पर प्रकाशित की जाएगी, बीते वर्षों में नर्सिंग कॉलेजों में फर्जीवाड़ा, अप्रशिक्षित स्टाफ, और बिना मान्यता के प्रवेश जैसे कई मामले सामने आए थे। अब क्षेत्रीय विवि के अधीन संचालन से कहा जा रहा हैं कि बेहतर पर्यवेक्षण होगा।