जबलपुर, देशबन्धु. हालहीं में खंडवा के कसरावद गांव में गणतंत्र दिवस पर मध्यान्ह भोजन का सेवन कर 40 बच्चों के फूड प्वाइजनिंग का शिकार होने की घटना के बाद अब मध्यान्ह भोजन वितरण व्यवस्था पर सीएजी रिपोर्ट में भी सवाल उठ गए हैं. हालहीं में जारी हुई सीएजी रिपोर्ट में मध्यान्ह भोजन वितरण व्यवस्था पर अब तक लग रहे गड़बड़ियों के आरोपों की पुष्टि कर दी हैं.
शहर के साथ संभाग में भी जब तब वितरण व्यवस्था को लेकर जब तब सवाल उठाए जाते रहे हैं लेकिन प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो जिले में अरसे से कथित तौर पर जमी जमाई व्यवस्था के तहत कुछ चुनिंदा संस्थाओं के जिम्मे जो एक बार मध्यान्ह भोजन वितरण व्यवस्था की बागडोर सौंपी गई.
इसके बाद से न तो गुणवत्ता की जांच करने की जहमत उठाई गई न तो मात्रा की और न हीं आपूर्ति की जांच की गई. जिले में जब तब मध्यान्ह भोजन वितरण को लेकर शिकायतें मिलने के बावजूद अब तक न तो आपूर्ति करने वालों को नोटिस थमाया गया न हीं कभी कोई ठोस कार्रवाई की खबरें मिली हैं.
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जबकि सूत्रों की मानें तो हालहीं में गणतंत्र दिवस पर शहर में मध्यान्ह भोजन में वितरित खीर, पूरी, हलवा को लेकर कुछ केंद्रों से शिकायतें भी मिली थीं लेकिन शिकायतों को बस इसलिए गंभीरता से नहीं लिया गया क्योंकि कहीं बच्चों बीमार पड़ने की सूचना नहीं मिली. मध्यान्ह भोजन वितरण व्यवस्था से जुड़े पुराने जानकारों का कहना हैं कि स्कूलों में वितरित होने वाला यह भोजन कई परिवारों के लिए काफी महत्व रखता हैं.
गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के बच्चों के लिए तो यह स्कूल जाने की ही वजह होता हैं यदि समय-समय पर वितरण व्यवस्था, मात्रा, स्वच्छता, मात्रा जैसे बिन्दुओं पर जांच होती रहे तो समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्तियों के बच्चों को तक भी गुणवत्ता पूर्ण भोजन पहुंच सकेगा.
हाल ही में वितरण व्यवस्था पर कांग्रेस ने भी आरोप लगाया है कि जो बच्चे स्कूल नहीं जाते, कई बच्चो की मौत हो गई, उनके नाम का राशन भी निकाला जा रहा है. पोषण आहार सप्लाई में 110 करोड़ के कथित घोटाले का आरोप लगाया गया. पोषण आहार योजना मे कथित तौर पर बड़े भ्रष्टाचार आरोप लगाया है.
सीएजी रिपोर्ट में हुआ खुलासा- हालही में जारी सीएजी रिपोर्ट में पोषण आहार में हुये कथित भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा खुलासा किया है, जिसमें परिवहन विभाग भी संलिप्त बताया गया. पोषण आहार सप्लाई में परिवहन करने वाले वाहनों में स्कूटर, मोटर साईकिल का उपयोग किया गया है, जिससे एक साथ सैकड़ों क्विंटल माल सप्लाई का हवाला दिया गया है. सरकार का पोषण आहार सप्लाई में 110 करोड़ का घोटाला कर भ्रष्टाचार का बड़ा कारनामा है. एक और सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार मप्र में 428 करोड़ के मध्यान भोजन योजना में घोटाला सामने आया है.
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया हैं कि मध्यान्ह भोजन के तहत 88119 केंद्र हैं, जिनमें 1 करोड़ 9 लाख बच्चे रजिस्टर्ड हैं. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि मध्यान्ह भोजन योजना के तहत वर्ष 2024-25 के लिए इन बच्चों को 2190 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की गई थी, जो कथित तौर पर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई.
वहीं प्रदेश में 453 बाल विकास परियोजनाओं के अंतर्गत 84465 आंगनबाड़ी केंद्र और 12670 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिसमें 80 लाख हितग्राही बच्चों को पोषण आहार देने की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है, योजना में 50 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है. यानि 12 रुपए प्रति बच्चें मप्र सरकार द्वारा दिया जाता है, जिसे बढ़ाकर 18 रुपए का प्रस्ताव सरकार ने दिया है, लेकिन इस निर्णय कर कोई दिखाई देने वाली कार्यवाही सरकार द्वारा नहीं की गई.