नई दिल्ली. संसद का मानसून सत्र आगामी 21 जुलाई 2025 से शुरू होने जा रहा है, जो राजनीतिक तौर पर बेहद अहम माना जा रहा है. इस बार सरकार संसद में 8 नए विधेयक पेश करने जा रही है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण मणिपुर में राष्ट्रपति शासन से जुड़ा विधेयक है. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक सत्र के दौरान विपक्षी दलों के जोरदार हंगामे के आसार हैं.
कौन-कौन से विधेयक होंगे पेश?
सरकार लोकसभा में जिन विधेयकों को पेश और पारित कराने की योजना बना रही है, उनमें शामिल हैं:
मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2025
जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक 2025
भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2025
कराधान विधि (संशोधन) विधेयक 2025
भू-विरासत स्थल एवं भू-अवशेष (संरक्षण एवं रखरखाव) विधेयक 2025
खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2025
राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2025
राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक 2025
इसके अलावा, इन विधेयकों पर भी चर्चा और पारित होने की संभावना है:
गोवा विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति प्रतिनिधित्व पुनर्समायोजन विधेयक 2024
मर्चेंट शिपिंग विधेयक 2024
भारतीय बंदरगाह विधेयक 2025
आयकर विधेयक 2025
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को लेकर फैसला
मणिपुर में 13 फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है. संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, इसे हर छह महीने में संसद की मंजूरी से आगे बढ़ाया जाता है. सरकार इस मानसून सत्र में इसे 13 अगस्त के बाद बढ़ाने पर विचार कर रही है. इससे स्पष्ट है कि फिलहाल राज्य में चुनाव या निर्वाचित सरकार बहाल करने की कोई योजना नहीं है.
पिछला सत्र कैसा रहा?
लोकसभा की उत्पादकता: मात्र 18%
राज्यसभा की उत्पादकता: 119%
कुल 16 विधेयक पारित हुए
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 प्रमुख विधेयकों में से एक था
विपक्षी दलों द्वारा जेपीसी रिपोर्ट पर तीखा विरोध भी देखा गया
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सत्र से पहले राजनीतिक हलचल तेज
चूंकि आगामी सत्र में कई संवेदनशील मुद्दों पर बहस होनी है, इसलिए संसद में विपक्षी एकजुटता और सरकार की रणनीति देखने लायक होगी. किसानों, युवाओं, बेरोजगारी, और मणिपुर की स्थिति जैसे मुद्दों पर हंगामे की संभावना जताई जा रही है.