जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक रूसिया की एकलपीठ ने जबलपुर के एक निजी स्कूल द्वारा कर्मचारियों का 12 की जगह 10 माह का ईपीएफ. ईएसआई अंशदान जमा करने के रवैये को सर्वथा अनुचित करार दिया है. इसी के साथ निजी स्कूल की वह याचिका निरस्त कर दी, जिसके जरिये दो माह शिक्षण बंद होने के आधार पर 12 के स्थान पर महज 10 माह के दायित्व का दावा किया गया था. एकलपीठ ने जिम्मेदार विभाग को निजी स्कूल से शेष दो माह का अंशदान वसूलने निर्देशित कर दिया है.
दरअसल याचिकाकर्ता स्कूल असेम्बली आफ गॉड, रसल चौक की ओर से दलील दी गई कि कर्मचारी राज्य बीमा निगम, भोपाल व अपीलीय प्राधिकरण का वह आदेश चुनौती के योग्य है, जिसके जरिये ग्रीष्मावकाश के दौरान कर्मचारियों के ईएसआई अंशदान की राशि जमा न करने पर स्पष्टीकरण तलब किया गया है. ग्रीष्म अवकाश के दौरान दो माह स्कूल में शिक्षण कर्मचारियों द्वारा अध्यापन न करने के कारण शिक्षकों का वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है.
जिस कारण वे ईएसआई अंशदान जमा करने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं. इस तर्क को नामंजूर कर अंशदान जमा करने का आदेश दिया गया. इसीलिए हाईकोर्ट की शरण ली गई. प्रतिवादी ईएसई और विभाग की ओर से दलील दी कि ग्रीष्मावकाश के दौरान भी कर्मचारी सेवा में थे. वे आजीविका कमाने के लिए अनयत्र नौकरी नहीं कर रहे थे. इसकी अनुमति भी नहीं थी. जिस कारण दो माह गैर कार्य अवकाश के कारण वेतन देने से इनकार नहीं किया जा सकता.
अवकाश के दौरान केवल कक्षाएं स्थगित की जाती हैं, लेकिन नियोक्ता-कर्मचारी संबंध जारी रहता हैै. विद्यालय परिसर में शिक्षण व अन्य स्टाफ द्वारा समर कैंप जैसी गतिविधियां जारी रहती हैैं. आगामी शैक्षणिक सत्र की प्रवेश प्रक्रिया भी चलती है. सेवा में कोई नियमित या कृत्रिम अवकाश नहीं है. इसलिए 12 माह का ईपीएफ व ईएसआई अंशदान अनिवार्य है. सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये.