जबलपुर. मुस्लिम अतिथि महिला प्रोफेसर को सोशल मीडिया में सोशल मीडिया में धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले मैसेज व विडियो भेजने के अपराध में हाईकोर्ट से जमानत का लाभ मिल गया है।
हाईकोर्ट जस्टिस ए के सिंह की एकलपीठ ने अतिथि महिला प्रोफेसर को सशर्त जमानत का लाभ प्रदान करते हुए अपने आदेष में कहा है कि धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले मैसेज व वीडियो भेजने के आरोपी को अनिश्चितकाल तक नहीं रखा जा सकता है।
गौरतलब है कि डिंडौरी में पदस्थ अतिथि महिला प्रोफेसर डॉ नसीम बानो ने ऑफिशियल व्हाट्सएप ग्रुप में सीता माता के अपरहण का कार्टून वीडियो पोस्ट किया था। इसके अलावा पोस्ट में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का अप्रत्यक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा था कि आतंकवादियों के द्वारा धर्म पूछकर गोली मारने और जय श्री राम के नारे लगाकर मारने में कोई अंतर नहीं है।
डिंडौरी की कोतवाली पुलिस ने उनके खिलाफ बी.एन.एस., 2023 की धारा 196, 299 और 353(2) के अंतर्गत प्रकरण दर्ज करते हुए उन्हें न्यायालय के समक्ष उपस्थित किया था। ट्रायल कोर्ट ने 28 अप्रैल को महिला अतिथि प्रोफेसर के जमानत आवेदन को निरस्त करते हुए जेल भेजने के आदेष जारी किये थे।
महिला प्रोफेसर की तरफ से नियमित जमानत के लिए दायर किये गये आवेदन को भी ट्रायल कोर्ट ने 30 अप्रैल 2025 को उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि आवेदक विगत 28 अप्रैल से न्यायिक अभिरक्षा में है। उसके खिलाफ कोई अन्य अपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं है।
एक शिक्षित व्यक्ति और कॉलेज में अतिथि प्रोफेसर के पद पर पदस्थ व्यक्तियों को व्हाट्सएप संदेश भेजने में जिम्मेदार होना चाहिये। धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले संदेश, वीडियो भेजने करने के आधार पर किसी व्यक्ति को अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता है।