नासिक. जहां आजकल लोग अपने निजी स्वार्थों में व्यस्त रहते हैं, वहीं चंद्र किशोर पाटिल एक ऐसे जागरूक नागरिक हैं जो गोदावरी नदी की रक्षा के लिए अपनी पूरी दिनचर्या समर्पित कर चुके हैं. सुबह से लेकर रात 11 बजे तक वे नदी किनारे खड़े रहते हैं, सीटी बजाकर लोगों को नदी में कचरा फेंकने से रोकते हैं.
चंद्र किशोर पाटिल का यह कार्य केवल एक आदत नहीं, बल्कि एक मिशन बन चुका है. वे लगातार लोगों को समझाते हैं कि नदी में कचरा डालना कितना खतरनाक है. हालांकि, इस कार्य में उन्हें लोगों के गुस्से, उपेक्षा और अपमान का भी सामना करना पड़ता है, लेकिन वे डटे रहते हैं.
जब उनसे पूछा गया कि विरोध या बुरा व्यवहार करने वालों से वे कैसे निपटते हैं, तो उनका जवाब चौंकाने वाला और बेहद सोचने पर मजबूर करने वाला था. वे नदी से पानी की बोतल भरते हैं और लोगों से उसमें से एक घूंट पीने को कहते हैं. जब लोग पीने से मना करते हैं, तो वे उन्हें यह बताते हैं कि अगर आप इसे पी नहीं सकते, तो इसे गंदा क्यों करते हैं?
यह तरीका लोगों के दिलों को झकझोर देता है और वे अपनी गलती समझते हैं.
उनकी प्रेरणा:
चंद्र किशोर पाटिल कहते हैं,
“नदी हमारी मां है. हम जैसे लोग अगर उसकी रक्षा नहीं करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध जल कहां से मिलेगा?”
क्यों हैं खास?
हर दिन, बिना रुके, वह गोदावरी की रक्षा में जुटे हैं.
बिना किसी संगठन या सरकार की मदद के, अकेले नदी के प्रहरी बन गए हैं.
अपने कर्मों से लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं.
हमारी जिम्मेदारी:
हम सभी को चंद्र किशोर पाटिल जैसे नदी योद्धाओं से प्रेरणा लेकर अपनी नदियों, तालाबों और जल स्रोतों की रक्षा करनी चाहिए. कचरा न फेंकें, प्लास्टिक का उपयोग न करें, और जल को सम्मान दें.
*चंद्र किशोर पाटिल को हमारा नमन और सलाम!
*”नदी को बचाना है, जीवन को सुरक्षित बनाना है.”