किसी भी देश की प्रगति का आधार यही है कि केंद्र और राज्य साथ मिल कर कार्य करें और
निश्चित दिशा में आगे बढ़ें। इसी सोच के साथ आगे बढ़ते हुए केंद्र सरकार ने संघीय ढांचे को सार्थक
और जिला स्तर तक प्रतिस्पर्धात्मक बनाते हुए विकास को बढ़ावा दिया। इसका उदाहरण देश-दुनिया
ने कोविड काल में देखा और दुनिया में भी भारत की एक अच्छी छवि निर्मित हुई। सबका प्रयास
और सहकारी संघवाद अब नए भारत की विकास यात्रा को गति प्रदान कर रहा है, इसी कड़ी में 7
अगस्त को नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी ने 3टी- ट्रेड
(व्यापार), टूरिज्म (पर्यटन), टेक्नोलॉजी (प्रौद्योगिकी) को बढ़ावा देने पर दिया जोर…
भारत केवल दिल्ली नहीं है –इसमें देश का हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल है। सहकारी
संघवाद की इसी सोच का परिणाम है कि भारत ने कोविड जैसी भयावह महामारी से निपटने में तेजी
दिखाई और केंद्र-राज्य समन्वय का अनुकरणीय उदाहरण पेश किया। अब जबकि भारत अपनी
आजादी के 75 वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहा है, राज्यों को चुस्त, लचीला, आत्मनिर्भर होने के साथ
सहकारी संघवाद की भावना के अनुरूप ‘आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में बढ़ने की जरूरत है। एक
समावेशी भारत के निर्माण की दिशा में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की सातवीं बैठक 7
अगस्त 2022 को हुई। इस बैठक के एजेंडे में अन्य बातों के साथ-साथ फसलों के विविधीकरण,
तिलहन-दलहन तथा अन्य कृषि उपजों के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-
स्कूली शिक्षा का कार्यान्वयन, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-उच्च शिक्षा का कार्यान्वयन और शहरी प्रशासन
शामिल था।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहकारी संघवाद की भावना से किए गए सभी राज्यों के
सामूहिक प्रयासों को आज ऐसी ताकत बताया जिसने भारत को कोविड महामारी से उबरने में मदद
की। उनका कहना था, “हर राज्य ने अपनी ताकत के अनुसार अहम भूमिका निभाई और कोविड के
खिलाफ भारत की लड़ाई में योगदान दिया। इसने भारत को विकासशील देशों के लिए एक वैश्विक
नेता के रूप में देखने के लिए एक उदाहरण के रूप में उभरने का मौका दिया।” पीएम ने कहा कि
इसका श्रेय राज्य सरकारों को जाता है,जिन्होंने आपसी सहयोग के माध्यम से सार्वजनिक सेवाओं के
जमीनी स्तर पर वितरण पर ध्यान केंद्रित किया।
भारत को आत्मनिर्भर बनाने की पहल में प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यों को दुनिया भर में हर भारतीय
मिशन के माध्यम से 3टी- ट्रेड (व्यापार), टूरिज्म (पर्यटन), टेक्नोलॉजी (प्रौद्योगिकी) को बढ़ावा देने पर
जोर दिया। उनका कहना था कि राज्यों को आयात कम कर, निर्यात बढ़ाने और इसके लिए हर राज्य
में अवसरों की तलाश करने पर ध्यान देना चाहिए। उनका कहना था कि ‘वोकल फॉर लोकल' किसी
एक राजनीतिक दल का एजेंडा नहीं है,बल्कि एक साझा लक्ष्य है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक से
निकले निहितार्थ को अमृत काल के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को परिभाषित करने वाला बताया।
उनका कहना था कि आज हम जो बीज बोएंगे, वह 2047 में भारत द्वारा तोड़े जाने वाले फलों को
परिभाषित करेगा।
कोविड के बाद यह पहली प्रत्यक्ष गवर्निंग काउंसिल की बैठक थी। इस बैठक के एजेंडे के रुप में
राष्ट्रीय प्राथमिकताओं की पहचान करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच महीनों विचार-मंथन और
परामर्श हुआ। भारत की आजादी के 75 साल में पहली बार भारत के सभी मुख्य सचिवों ने एक
जगह, एक साथ मुलाकात की और तीन दिनों तक राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
इस सामूहिक प्रक्रिया से इस बैठक का एजेंडा उभरकर सामने आया।
इस वर्ष नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल ने चार प्रमुख एजेंडों पर चर्चा की:-
1. फसल विविधीकरण और दलहन, तिलहन तथा अन्य कृषि उपजों में आत्म-निर्भरता प्राप्त
करना।
2. स्कूली शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का कार्यान्वयन।
3. उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन।
4. शहरी प्रशासन।
प्रधानमंत्री ने उपरोक्त सभी मुद्दों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने विशेष रूप से भारत को
आधुनिक कृषि,पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर प्रकाश
डाला ताकि कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर और वैश्विक मार्गदर्शक बन सकें। उन्होंने कहा कि शहरी भारत
के प्रत्येक नागरिक के लिए जीवन की सुगमता,पारदर्शी सेवा वितरण और जीवन की गुणवत्ता में
सुधार सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर तेजी से बढ़ते शहरीकरण को कमजोरी
की बजाय भारत की ताकत बनाया जा सकता है। पीएम मोदी ने 2023 में भारत के जी-20 की
अध्यक्षता को लेकर कहा कि भारत सिर्फ दिल्ली नहीं- इसमें देश का राज्य व केंद्रशासित प्रदेश
शामिल है। पीएम ने कहा कि जी-20 के इर्द-गिर्द एक जन आंदोलन विकसित करना चाहिए। इससे
हमें देश में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं की पहचान करने में मदद मिलेगी। कार्यक्रम में उपस्थित
प्रत्येक मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल ने चार प्रमुख एजेंडों पर विशेष ध्यान देने के साथ अपने-अपने
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्राथमिकताओं, उपलब्धियों और चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए इस
बैठक को संबोधित किया।
संघीय ढांचाः संवाद और समन्वय
प्रधानमंत्री ने कोविड से निपटने के मामले में ऐतिहासिक पहल करते हुए संघीय ढांचे में सबसे अहम
केंद्र-राज्य के बीच समन्वय का सेतु बनाकर सबका साथ के मंत्र को चरितार्थ करके दिखाया। कोविड
के समय और अन्य अवसरों पर बैठकों में सभी मुख्यमंत्रियों की न सिर्फ राय ली गई, बल्कि राज्यों
की ओर से दिए गए नोट और सलाह पर मंथन के बाद ही लॉकडाउन और अन्य पहल को जमीन पर
उतारा गया। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने 19 मार्च 2020 को कोविड पर पहले राष्ट्र के नाम
संबोधन में जनता कर्फ्यू का एलान किया, लेकिन सीधे लॉकडाउन की घोषणा नहीं की। पहले
मुख्यमंत्रियों से बात की तो अगले दिन दवा उद्योग के प्रमुख लोगों से बातचीत कर युद्ध स्तर पर
काम करने, कालाबाजारी रोकने के निर्देश के साथ 14 हजार करोड़ रुपये को दो परियोजना भी आगे
बढ़ा दी। फिर मेडिकल समूह, आयुष चिकित्सकों, इंडस्ट्री, इलेक्ट्रानिक मीडिया, प्रिंट मीडिया, सामाजिक
संगठनों, रेडियो के आरजे, सभी राजनैतिक दलों के नेताओं, ग्राम सरपंचों, देश के खिलाड़ियों और उन
सभी से सीधा संवाद किया जो इस चुनौती में राष्ट्र को अपना सक्रिय योगदान दे सकते थे। इन सभी
पहल के जरिए प्रधानमंत्री की सोच लोगों को सकारात्मक संदेश देने और निराशावाद या घबराहट
समाप्त करने की थी। इन सबसे प्रधानमंत्री की अपील थी कि लोगों को नौकरी से न निकालें आर
अपने यहां काम करने वाले लोगों को सुरक्षा का माहौल दें।