भुवनेश्वर. ओडिशा के एक होनहार छात्र बलभद्र माझी की कहानी ने राज्यभर में संवेदनाएं जगा दी हैं. रायगढ़ जिले के पोडापदर गांव के रहने वाले स्कूल टॉपर बलभद्र ने प्लस टू आर्ट्स परीक्षा में 517 अंक प्राप्त कर अपने स्कूल का टॉप किया, लेकिन परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के चलते उन्हें पढ़ाई छोड़कर केरल में दिहाड़ी मजदूरी करनी पड़ी.
यह खबर सामने आते ही मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मामले का संज्ञान लेते हुए जिला कलेक्टर को जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने छात्र की शिक्षा और परिवार की आर्थिक सहायता के लिए कई अहम घोषणाएं की हैं.
आर्थिक सहायता और शिक्षा की व्यवस्था
मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के निर्देश पर बलभद्र को मुख्यमंत्री राहत कोष और रेडक्रास फंड से 30-30 हजार रुपये की सहायता राशि दी गई है. साथ ही उच्च शिक्षा विभाग को बलभद्र की आगे की पढ़ाई के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करने और कदम उठाने को कहा गया है. मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया है कि बलभद्र के परिवार को आजीविका सहायता प्रदान की जाए ताकि उन्हें दोबारा ऐसे हालात का सामना न करना पड़े.
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“ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो” – मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री माझी ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में दोबारा न हों, इसके लिए व्यवस्थित योजना और निगरानी की आवश्यकता है. उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग को कहा है कि वह ऐसे होनहार छात्रों की पहचान कर समय पर सहायता सुनिश्चित करे.
बलभद्र की प्रेरणादायक संघर्ष गाथा
बलभद्र माझी, जो बिषमकटक स्थित मां मरकाम हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ते थे, परीक्षा पूरी होने के बाद अपने दोस्तों के साथ केरल मजदूरी करने चले गए थे ताकि अपने परिवार की आर्थिक मदद कर सकें. जब परीक्षा परिणाम आया और बलभद्र ने स्कूल में टॉप किया, तो पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई – लेकिन उसके मजदूरी करने की खबर ने लोगों को चिंतित कर दिया.