जबलपुर,देशबन्धु.आध्यात्मिक ध्यान-देशना के महान महर्षि आचार्य रजनीश (ओशो) के संबोधि दिवस पर दुनिया भर से जबलपुर पहुंचे ओशो-प्रेमी झूम उठे। उन्होंने भंवरताल उद्यान स्थित उस ‘मौलश्री’ वृक्ष के नीचे नृत्य-संगीत और ध्यान की साधना कर अपने आराध्य सद्गुरू को नमन किया, जहां आज के दिन ही उन्हें संबोधि अर्थात आध्यात्म-तत्व का बोध हुआ था। आध्यात्मिक अभिज्ञान से पूरी दुनिया में अलख जगाने वाले
रजनीश प्रेमियों का तीर्थ है मौलश्री
■ जबलपुर पहुंचे सैकड़ों ओशोभक्त
■ हर साल लगता है 21 मार्च को मेला
■ सुबह से बहती रही प्रेम की अविरल गंगा
विराट आभा के नीचे गीत, संगीत के साथ ओशो प्रेमी सुधबुध भुला कर आत्म-उपलब्धि में मस्त हो रहे थे।

कोने-कोने से आए अनुयायी
संबोधि महोत्सव में शामिल होने देश-विदेश से प्रेमियों का डेरा जबलपुर में है। विदेशों के साथ ही देश के महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़, हरियाणा-झारखंड, केरल-आंध्रा सहित विभिन्न स्थलों से आए अनुयायी ओशो के प्रेम से प्रेमान्दित थे। संस्कारधानी से गहरा नाता रखने वाले ओशो के अनुयायियों की मान्यता है 21 मार्च 1953 को इसी मौलिश्री वृक्ष के नीचे ओशो को संबोधि प्राप्त हुई थी।
ये है ओशो की संबोधि
ओशो की संबोधि से आशय उस परमज्ञान को माना जाता है जिसकी तलाश में ऋषि, मनीषी युगों-युगों तप-साधना करते हैं। बताया जाता है कि ओशो
ओशो की साधना स्थली जबलपुर स्थित भंवरताल पार्क में लगे मौलश्री वृक्ष से आज हवा नहीं ध्यान की सुगंध प्रवाहित हो रही थी। इस
साधना काल में इसी मौलिश्री वृक्ष के नीचे बैठ कर घंटों ध्यान साधना करते थे, उस समय उनकी आयु महज 21 वर्ष थी। संबोधि के बाद ओशो के ज्ञान का लाभ पूरी दुनिया को मिला।
मौलिश्री को चूमा, अमृतधाम में डेरा
मौलिश्री वृक्ष को चूम तने से माथा जोड़ कर ओशो प्रेमी आध्यात्मिक ऊर्जा के अनुभव में में लीन हुए जा रहे हैं। ओशो अमृतधाम देवताल की सुरम्य यादियों में डेरा डाले ओशो प्रेमियों द्वारा आज सुबह से ध्यान, सक्रिय ध्यान के साथ ओशो का संदेश दोहराया जा रहा है। स्वामी आनंद विजय, स्वामी अनादि अनंत, अविनाश भारती, संतोष आनंद, आनंद फरिश्ता ने साधकों को ध्यानाभूति कराई। शाम को ओशो देवताल में नाद ब्रम्ह होगा।