नई दिल्ली. रक्षा विशेषज्ञों का दावा है कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ता है तो पाकिस्तान के पास गोला-बारूद और सैन्य उपकरणों का इतना भंडार नहीं है कि वह चार दिन से ज्यादा टिक सके. हाल के घटनाक्रमों और पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह आकलन सामने आया है.
इस संकट की एक बड़ी वजह पाकिस्तान द्वारा हाल ही में यूक्रेन को भेजा गया हथियारों का जखीरा है. खास तौर पर 155mm आर्टिलरी शेल्स की भारी मात्रा में आपूर्ति से पाकिस्तान के पास अपने भंडार खत्म हो गए हैं. ये गोले पाकिस्तान की आर्टिलरी-आधारित युद्ध नीति के लिए बेहद जरूरी हैं, जो अब सीधे तौर पर प्रभावित हो रही है.
पाकिस्तान की हथियार निर्माण कंपनी पाकिस्तान ऑर्डनेंस फैक्ट्री (POF), जो सेना को गोला-बारूद उपलब्ध कराती है वो अब पुराने उपकरणों और सीमित उत्पादन क्षमता के कारण घरेलू मांग पूरी नहीं कर पा रही है. पीओएफ का दावा है कि उसकी प्राथमिकता घरेलू जरूरतें हैं, लेकिन वर्तमान हालात में वो असफल रही है.
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रिपोर्ट के अनुसार, 2 मई को हुई कोर कमांडर्स की विशेष बैठक में इस गंभीर स्थिति पर चर्चा हुई. सेना के वरिष्ठ अधिकारी इस हालात को लेकर बेहद चिंतित हैं और कई हद तक असहज महसूस कर रहे हैं. पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा पहले ही पाकिस्तान की सीमित युद्ध क्षमता को लेकर चेतावनी दे चुके थे. उन्होंने आर्थिक और लॉजिस्टिक समस्याओं को प्रमुख वजह बताया था. पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति, जिसमें महंगाई चरम पर है, कर्ज लगातार बढ़ रहा है और विदेशी मुद्रा भंडार गिर रहा है, इसने हालात और भी बिगाड़ दिए हैं. इस संकट के कारण सेना को अपने प्रशिक्षण अभ्यासों को रद्द करना, राशन में कटौती करना और युद्धाभ्यास स्थगित करना पड़ा है क्योंकि ईंधन की भी भारी कमी है.
बढ़ते खतरे को देखते हुए पाकिस्तान ने भारत सीमा के पास नए गोला-बारूद डिपो बनाना शुरू किया है. लेकिन जानकारों का कहना है कि जब भरने के लिए गोला-बारूद ही नहीं है, तो इन डिपो का कोई रणनीतिक फायदा नहीं होगा.