पिपरिया. सांसद मेले के दौरान एक ऐसा क्षण भी आया, जिसमें प्रशासनिक मर्यादा और आत्मसम्मान का उदाहरण देखने को मिला.
जिले की तेज़तर्रार कलेक्टर सोनिया मीणा ने सांसद मेले में यह साबित कर दिया कि वह किसी भी परिस्थिति में अपने निर्णय और स्वाभिमान से समझौता नहीं करेंगी.
वाकया कुछ ऐसा था कि सांसद मेला कार्यक्रम के दौरान सांसद दर्शन सिंह चौधरी ने मंच से आव्हान किया कि सभी लोग खड़े होकर प्रभारी मंत्री जी का अभिवादन करें. इस पर मंच पर बैठे जनप्रतिनिधि और अधिकारी खड़े हो गए, मंत्री जी ने भी खड़े होकर अभिवादन स्वीकार किया.
लेकिन उस वक़्त मंच पर पहली पंक्ति में बैठी कलेक्टर सोनिया मीणा ने अपने पद की गरिमा बनाए रखते हुए मंत्री जी के समक्ष खड़े होना उचित नहीं समझा.
उनका यह कदम कार्यक्रम में मौजूद लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया. जनता ने कलेक्टर महोदया के इस रुख की खूब सराहना की और कहा नेता पाँच साल के लिए होता है, लेकिन अधिकारी साठ साल के लिए. कलेक्टर महोदया ने यह स्पष्ट कर दिया कि हम जनता के सेवक हैं, सरकार के गुलाम नहीं.
कलेक्टर सोनिया मीणा का यह निर्णय न केवल प्रशासनिक शुचिता का प्रतीक माना जा रहा है, बल्कि यह भी संदेश दे गया कि कानून और संविधान सर्वोपरि हैं.