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सिंहावलोकन 2025: इन बयानों के चलते गरमाई राजनीति, विवाद से बढ़ा सियासी पारा

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। साल 2025 खत्म होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में जब हम गुजरते साल को देखते हैं तो पाते हैं कि देश की राजनीति के लिए साल 2025 काफी अहम और घटनाओं से भरा रहा। इस साल विधानसभा चुनाव की वजह से बिहार की राजनीति पूरे साल चर्चा में रही। चुनावी माहौल, नेताओं के तीखे बयान और विवादों की वजह से राजनीतिक गलियारों में लगातार गर्मी बनी रही। आइए, साल 2025 के कुछ प्रमुख राजनीतिक मुद्दों और विवादों को सरल भाषा में समझने की कोशिश करते हैं।

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। साल 2025 खत्म होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में जब हम गुजरते साल को देखते हैं तो पाते हैं कि देश की राजनीति के लिए साल 2025 काफी अहम और घटनाओं से भरा रहा। इस साल विधानसभा चुनाव की वजह से बिहार की राजनीति पूरे साल चर्चा में रही। चुनावी माहौल, नेताओं के तीखे बयान और विवादों की वजह से राजनीतिक गलियारों में लगातार गर्मी बनी रही। आइए, साल 2025 के कुछ प्रमुख राजनीतिक मुद्दों और विवादों को सरल भाषा में समझने की कोशिश करते हैं।

साल 2025 का सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला मुद्दा बिहार चुनाव बना। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बिहार को कट्टा सरकार नहीं, एनडीए सरकार चाहिए। इसके बाद महागठबंधन की ओर से उप मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार मुकेश सहनी ने कहा कि वे कट्टा की बात करते हैं, लेकिन हम कलम की बात करेंगे। हालांकि, बिहार की जनता ने इस मुद्दे को हाथों-हाथ लिया और जंगलराज के साथ ही कट्टा वाले बयान का समर्थन करते हुए चुनावी नतीजों में एनडीए को बंपर सीटें दी।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की ओर से छठ पूजा को लेकर की गई टिप्पणी पर भी काफी बवाल देखने को मिला था। राहुल गांधी ने कहा था कि पीएम मोदी का छठ पूजा से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें सिर्फ आपका वोट चाहिए। आप वोट के लिए उनसे कोई भी ड्रामा करवा लो, वो कर देंगे।

इसी दौरान बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के बयान ने भी काफी सुर्खियां बटोरीं। उन्होंने पटना में कहा कि बिहार में अब “लालटेन युग” खत्म हो चुका है। उनके मुताबिक, अब न दुकानों में लालटेन मिलती है और न ही लोगों के घरों में। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश के नेतृत्व में बिहार अब एलईडी बल्ब के युग में प्रवेश कर चुका है। उन्होंने यह भी दावा किया कि राज्य में 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जा रही है और करीब एक करोड़ 70 लाख परिवारों को पिछले चार महीनों से बिजली का बिल नहीं मिला है। उन्होंने इसे ऐतिहासिक फैसला बताया था।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी कांग्रेस और राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को बिहार के ‘ब’ की भी समझ नहीं है, इसलिए वे चुनाव के समय गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार और यहां के मेहनती लोगों पर टिप्पणी करने से पहले राहुल गांधी को अपने अतीत पर नजर डालनी चाहिए। आजादी के बाद लंबे समय तक कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने बिहार में शासन किया, लेकिन इन वर्षों में राज्य को विकास की दिशा में आगे ले जाने में असफल रहे।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे। उन्होंने विपक्षी महागठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्ष 2047 तक प्रधानमंत्री और बिहार में मुख्यमंत्री पद के लिए कोई वेकेंसी नहीं है। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में देश और बिहार विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं, इसलिए विपक्ष को अब सपने देखना छोड़ देना चाहिए।

केशव प्रसाद मौर्य ने महागठबंधन को ‘लठबंधन, ठगबंधन और हठबंधन’ जैसे शब्दों से संबोधित किया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह गठबंधन सत्ता के अहंकार में डूबा है और जनता को आज भी गुलाम समझता है।

इस बीच, बिहार चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी को बेगूसराय में एक तालाब में मछली पकड़ते हुए देखे जाने पर भी विवाद हुआ। भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने इस पर तंज कसते हुए कहा कि यह राहुल गांधी के “रील ड्रामा” का एक और एपिसोड है। मछली की तरह ही वोट भी राहुल गांधी के हाथ से निकल चुके हैं और अब उनके पास कुछ नहीं बचा है। यह बयान भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ।

इसके अलावा पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर के एक बयान ने भी देशभर में चिंता बढ़ा दी। उन्होंने बाबरी मस्जिद से जुड़ी टिप्पणी की, जिसे सांप्रदायिक तनाव भड़काने वाला माना गया। इस बयान के बाद कानून-व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द को लेकर गंभीर सवाल खड़े हुए। कई लोगों का मानना था कि ऐसे बयानों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि समाज में शांति बनी रहे।

--आईएएनएस

एसएके/एबीएम

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