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सिंहावलोकन 2025: पद्मश्री शिवानंद बाबा, पोप फ्रांसिस समेत इन 'मार्गदर्शकों' को दुनिया ने नम आंखों से दी विदाई

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। साल 2025 एक ऐसे वर्ष के रूप में दर्ज हुआ, जब अलग-अलग धर्मों, संप्रदायों ने अपने प्रभावशाली मार्गदर्शकों को खो दिया। ये वे नाम थे, जिनकी पहचान केवल पूजा-पाठ या धार्मिक उपदेशों तक सीमित नहीं थी, बल्कि शिक्षा, सेवा, करुणा और नैतिक नेतृत्व से जुड़ी हुई थी।

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। साल 2025 एक ऐसे वर्ष के रूप में दर्ज हुआ, जब अलग-अलग धर्मों, संप्रदायों ने अपने प्रभावशाली मार्गदर्शकों को खो दिया। ये वे नाम थे, जिनकी पहचान केवल पूजा-पाठ या धार्मिक उपदेशों तक सीमित नहीं थी, बल्कि शिक्षा, सेवा, करुणा और नैतिक नेतृत्व से जुड़ी हुई थी।

25 जनवरी 2025 को ऑर्थोडॉक्स ईसाई जगत के प्रमुख चेहरे, अल्बानिया के आर्चबिशप अनास्तासियोस (95) का निधन हुआ। उन्होंने शीतयुद्ध के बाद अल्बानिया में ऑर्थोडॉक्स चर्च के पुनर्निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाई थी। उन्हें अंतर-धार्मिक संवाद और शांति प्रयासों का समर्थक माना जाता था।

इसके कुछ ही दिनों बाद, 4 फरवरी 2025 को इस्माइली मुस्लिम समुदाय के 49वें इमाम आगा खान चतुर्थ (88) का निधन हुआ। उनका नाम आधुनिक दौर के उन आध्यात्मिक नेताओं में गिना जाता है, जिन्होंने धर्म को शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास से जोड़ा। आगा खान डेवलपमेंट नेटवर्क के जरिए उन्होंने एशिया और अफ्रीका के कई देशों में सामाजिक बदलाव की नींव रखी।

ईसाई जगत के लिए वर्ष का सबसे भावनात्मक क्षण 21 अप्रैल 2025 को आया, जब पोप फ्रांसिस (88) का निधन हुआ। वे रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे और गरीबों, शरणार्थियों तथा सामाजिक न्याय के पक्ष में अपनी स्पष्ट आवाज के लिए पहचाने जाते थे। उनके नेतृत्व को चर्च के भीतर सुधार और करुणा-केंद्रित दृष्टिकोण के रूप में याद किया गया।

3 मई 2025 को 129 वर्ष के पद्मश्री शिवानंद बाबा का वाराणसी में निधन हो गया। अपनी लंबी उम्र के लिए जाने जाते थे, जो उनकी सादी जीवनशैली और योग का परिणाम थी। दुनिया की नजर ठिठकी थी जब पद्मश्री लेते सय नंगे पैर वो राष्ट्रपति भवन पहुंचे। उन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा में बरसों बिता दिए।

इसके बाद 13 मई 2025 को ब्राजील के प्रसिद्ध स्पिरिटिस्ट और वक्ता डिवाल्डो फ्रैंको (98) का निधन हुआ। वे दशकों तक आत्मिक प्रवचनों, समाजसेवा और परोपकारी कार्यों से जुड़े रहे और लैटिन अमेरिका में स्पिरिटिज्म की सबसे प्रभावशाली आवाजों में गिने जाते थे।

--आईएएनएस

केआर/

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