नई दिल्ली. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना आवश्यक हो गया है. प्रोस्टेट कैंसर, जो कि पुरुषों के प्रजनन तंत्र की एक ग्रंथि में होता है, अगर शुरुआती चरणों में पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है. समय पर पहचान और उचित उपचार से मरीज एक स्वस्थ जीवन जी सकता है.
क्या है प्रोस्टेट कैंसर?
प्रोस्टेट एक छोटी ग्रंथि है जो पुरुषों के मूत्राशय के नीचे और मूत्र नली के चारों ओर स्थित होती है. जब इस ग्रंथि की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं तो इसे प्रोस्टेट कैंसर कहते हैं. यह आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ता है और अक्सर शुरुआती चरणों में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाता है.
शुरुआती लक्षण
हालांकि शुरुआती चरण में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते, कुछ सामान्य संकेत जिनसे इस बीमारी का पता लग सकता है, उनमें शामिल हैं:
बार-बार पेशाब आना, खासकर रात में.
पेशाब करते समय दर्द या जलन महसूस होना.
पेशाब को रोकने में दिक्कत.
मूत्र प्रवाह कमजोर होना.
कमर, कूल्हे या जांघों में दर्द.
कारण और जोखिम
प्रोस्टेट कैंसर का खतरा उम्र के साथ बढ़ता है, खासकर 50 साल से अधिक उम्र के पुरुषों में. पारिवारिक इतिहास, मोटापा और धूम्रपान भी इस बीमारी के जोखिम कारक हैं.
जांच और निदान
प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ जांच की सलाह दे सकते हैं, जैसे:
डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन (DRE): इसमें डॉक्टर उंगली से प्रोस्टेट ग्रंथि की जांच करते हैं.
पीएसए (PSA) रक्त परीक्षण: इस परीक्षण में खून में प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन नामक प्रोटीन के स्तर की जांच की जाती है. यदि पीएसए का स्तर बढ़ा हुआ है, तो आगे की जांच आवश्यक होती है.
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उपचार के विकल्प
यदि प्रोस्टेट कैंसर का जल्दी पता चल जाए, तो इसका इलाज संभव है. उपचार के विकल्पों में शामिल हैं:
सर्जरी: कैंसरग्रस्त ग्रंथि को हटाने के लिए.
रेडिएशन थेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए विकिरण का उपयोग.
हार्मोन थेरेपी: हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करके कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकना.
सक्रिय निगरानी: कुछ मामलों में, डॉक्टर केवल नियमित जांच और निगरानी की सलाह देते हैं.