मुजफ्फराबाद. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में अराजकता जैसी स्थिति बनी हुई है। पीओके में बीते कुछ दिनों में व्यापक विरोध-प्रदर्शन देखने को मिले। हजारों लोग अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) के बैनर तले आर्थिक राहत और राजनीतिक सुधारों की मांग को लेकर रैली निकाल रहे हैं। पीओके में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ भी काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है। यूरोपियन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, एएसी नाम के सिविल सोसायटी ग्रुप ने आटे और बिजली की बढ़ती कीमतों के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है।
इसके अलावा पीओके में लोग पाकिस्तान में रह रहे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधायी सीटों को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। यूरोपियन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार यह क्षेत्र संसाधन संपन्न होने और मंगला बांध जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों से परिपूर्ण है, लेकिन फिर भी यहां रह रहे लोगों को बढ़ी हुई बिजली दरों, महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। बीते दिनों पीओके से आम लोगों और पाकिस्तानी सेना के बीच झड़प की तस्वीरें भी सामने आई। पाकिस्तानी आर्मी के साथ झड़प ने हिंसक रूप ले लिया और इस घटना में कम से कम 10 नागरिक मारे गए और 100 से ज्यादा घायल हुए।
धीरकोट (बाग जिला) में, चार प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मुजफ्फराबाद, ददयाल (मीरपुर) और कोहाला के पास चम्याती में भी कई लोगों की मौतें हुई। पथराव कर रहे प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की गई। पुलिस की तरफ से की गई फायरिंग पर लोगों को गुस्सा फूटा और इसका परिणाम यह हुआ कि सरकारी दमन के विरोध में मुजफ्फराबाद की ओर एक लंबा मार्च निकाला गया। पीओके में हुए इस विरोध प्रदर्शन का असर वहां रहने वाले लोगों के सामान्य जनजीवन पर भी देखने को मिला।
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विरोध प्रदर्शन की वजह से वहां के बाजार, स्कूल और सार्वजनिक परिवहन को बंद कर दिया गया है। इसके अलावा, लोगों की आवाज को दबाने के लिए अधिकारियों ने इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं सहित आंशिक रूप से कम्युनिकेशन ब्लैकआउट लागू कर दिया। संवेदनशील इलाकों में अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियां तैनात की गई हैं।