जबलपुर,देशबन्धु. मप्र हाईकोर्ट ने एक याचिका का इस निर्देश के साथ निराकरण कर दिया कि सात दिन के भीतर शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटाए जाएं। यदि ऐसा न किया गया तो याचिकाकर्ता कलेक्टर उमरिया के विरुद्ध अवमानना याचिका दायर करने स्वतंत्र होगा।
याचिकाकर्ता उमरिया निवासी फूल सिंह चंदेल की ओर से अधिवक्ता गोपाल सिंह बघेल ने पक्ष रखा। जिन्होंने दलील दी कि पूर्व में कलेक्टर, उमरिया को एक शिकायत सौंपी गई थी। जिसमें आरोप लगाया गया था कि एनएच-43 के किनारे स्थित शासकीय भूमि में दबंगों ने अतिक्रमण कर लिया है। कलेक्टर ने एसडीएम व तहसीलदार को कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
जिसके बाद प्रशासन ने सिर्फ याचिकाकर्ता के निर्माण को गिराया, जबकि शेष दबंगों के निर्माण यथावत हैं। चूंकि याचिकाकर्ता अपने निर्माण पर हाईकोर्ट से यथास्थिति का आदेश पारित करा चुका था। अत: उसका निर्माण गिराना अनुचित था। जिनके पास ऐसा कोई आदेश नहीं था, उनके अतिक्रमण छोड़ दिए गए। याचिकाकर्ता की यही मांग है कि उसे मुआवजा दिया जाए और जिन्होंने वास्तव में शासकीय भूमि पर अतिक्रमण किया है, उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाये। पूरे मामले का अवलोकन करने पर न्यायालय ने मुहं दिखाई पंचायत को आड़े हाथों लेते हुए उक्त निर्देश दिये।