सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि उसके द्वारा दिए गए दस्तावेजों की लिस्ट अंतिम नहीं है. कोर्ट ने आयोग से प्रूफ के तौर पर आधार, वोटर कार्ड और राशन कार्ड को शामिल करने को कहा, जिसका चुनाव आयोग ने विरोध किया है. पता है फिर क्या हुआ? सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिहार में हो रहे वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन (Bihar Voter List) पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हालांकि, उन्होंने चुनाव आयोग (ECI) से कहा है कि 11 मान्य दस्तावेजों में आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड को भी शामिल करना चाहिए.
कोर्ट ने कहा है कि ये चुनाव आयोग को तय करना है कि वो ऐसा करेंगे या नहीं. आयोग अगर इन दस्तावेजों को शामिल नहीं करता, तो उनको इसका कारण बताना होगा. इस मामले पर अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, 10 जुलाई को अपने आदेश में कोर्ट ने कहा,
चुनाव आयोग ने बताया है कि मतदाताओं के सत्यापन के लिए दस्तावेजों की सूची में 11 दस्तावेज शामिल हैं और ये संपूर्ण नहीं हैं. इसलिए, हमारी राय में, ये न्याय के हित में होगा यदि आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड को भी इसमें शामिल किया जाए. इससे याचिकाकर्ता संतुष्ट होंगे.
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जस्टिस धूलिया ने उठाए सवाल
सुनवाई के दौरान जस्टिस धूलिया ने कई अहम सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि ये मामला मतदान के अधिकार से जुड़ा है. याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि ये प्रक्रिया न केवल मतदाताओं के लिए बनाए गए अनुच्छेद 324, 325, 14, 19 और 21 का उल्लंघन करती है, बल्कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों का भी उल्लंघन करती है. जस्टिस धूलिया ने आगे कहा,
ECI का तर्क है कि अंतिम गहन संशोधन 2003 में हुआ था और वर्तमान में गहन संशोधन की आवश्यकता है, जो अनुच्छेद 326 के तहत अनिवार्य है. प्रथम दृष्टया हमारा मत है कि यहां तीन प्रश्न हैं-
1. विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) करने के लिए चुनाव आयोग की शक्तियां.
2. इन शक्तियों का प्रयोग करने की प्रक्रिया.
3. समय-सीमा बहुत कम है और इसे नवम्बर तक पूरा करना है.