हरियाणा. हरियाणा से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां स्कूल में आगे की सीट पर बैठने को लेकर हुए पुराने विवाद ने एक छात्र की जान ले ली. हिसार जिले के सातरोड गांव के पास एक स्कूल में पढ़ने वाले 10वीं के छात्र ने अपने ही सहपाठी की गोली मारकर हत्या कर दी. मृतक छात्र की पहचान मस्तनाथ कॉलोनी निवासी दीक्षित के रूप में हुई है.
एक साल पुरानी रंजिश ने ली जान
पुलिस के अनुसार, करीब एक साल पहले दीक्षित और आरोपी छात्र के बीच कक्षा में आगे की सीट पर बैठने को लेकर विवाद हुआ था. इसके बाद आरोपी छात्र के परिवार ने दीक्षित के माता-पिता पर दबाव बनाया कि वे उसे किसी अन्य स्कूल में दाखिला दिला दें. परन्तु सीबीएसई के नियमों का हवाला देते हुए दीक्षित के माता-पिता ने मना कर दिया. इसके बाद आरोपी छात्र को ही दूसरे स्कूल में दाखिल कराया गया.
दीक्षित के परिजनों का कहना है कि तभी से आरोपी छात्र उसे लगातार जान से मारने की धमकियां देता आ रहा था.
सुबह-सुबह मौत का बुलावा
शुक्रवार सुबह दीक्षित जब दूध लेने के लिए स्कूटर पर निकला, तभी आरोपी छात्र ने उसे फोन कर मिलने के लिए बुलाया. वह मोटरसाइकिल पर आया और दोनों रेलवे स्टेशन के पास लोडिंग पॉइंट तक चले गए. वहां दोनों के बीच फिर से बहस हुई जो हाथापाई में बदल गई. तभी आरोपी छात्र ने अपने बैग से पिता की लाइसेंसी बंदूक निकाली और दीक्षित पर गोली चला दी. पहली गोली हवा में चली जबकि दूसरी गोली दीक्षित की कमर के नीचे जा लगी.
चश्मदीद बनी बुजुर्ग महिला
गोली की आवाज सुनकर पास में काम कर रही एक बुजुर्ग महिला मौके पर पहुंची. उसने दीक्षित का फोन बजते देखा, कॉल उसकी मां की थी. महिला ने तुरंत दीक्षित की मां को घटना की सूचना दी. दीक्षित के माता-पिता मौके पर पहुंचे और उसे अस्पताल ले गए, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई.
आरोपी हिरासत में, जांच जारी
घटना की सूचना मिलते ही जीआरपी और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची और साक्ष्य जुटाए. जीआरपी एसएचओ विनोद कुमार ने बताया कि घटना सुनसान इलाके में हुई, जहां कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था. मृतक का स्कूटर और चप्पल घटनास्थल पर बरामद हुए हैं. पुलिस ने आरोपी छात्र को हिरासत में ले लिया है और उसने हत्या की बात कबूल कर ली है. उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच की जा रही है.
यह घटना न सिर्फ समाज में बढ़ते गुस्से और असहिष्णुता की भयावह तस्वीर पेश करती है, बल्कि स्कूलों और परिवारों में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक देखभाल की अनदेखी पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है.