उमरिया, देशबन्धु. जिले में बीते दिन मौसम ने अचानक करवट ले ली. गुरुवार सुबह से ही बादलों की घनी परत ने सूरज को ढक लिया था, और हल्की ठंडी हवाएं चलने लगीं. दोपहर होते-होते तेज गर्जना के साथ बारिश शुरू हुई, जो देखते ही देखते ओलावृष्टि में बदल गई. बड़े आकार के ओलों ने खेतों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाया, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है.
गर्मी से बेहाल लोगों को इस मौसम परिवर्तन से राहत जरूर मिली, लेकिन किसानों के लिए यह बारिश और ओलावृष्टि किसी आपदा से कम नहीं रही. गेहूं और चने की फसल कटाई के लिए तैयार थी, लेकिन ओलों की मार से कई खेतों में फसल बर्बाद हो गई. किसानों का कहना है कि इतनी मेहनत से तैयार की गई फसल का इस तरह बर्बाद होना उनके लिए आर्थिक रूप से बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है.
जलवायु परिवर्तन का असर?
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में अचानक इस तरह का बदलाव देखने को मिल रहा है. मार्च और अप्रैल के महीने में आमतौर पर गर्मी रहती थी, लेकिन इस बार लगातार बदलते मौसम से किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है.
किसानों की अपील, जल्द मिले मुआवजा
ग्रामीण इलाकों में कई किसानों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि उन्हें जल्द से जल्द मुआवजा दिया जाए. कुछ किसानों का कहना है कि वे पहले से ही कर्ज में डूबे हुए हैं और अगर उन्हें समय पर सहायता नहीं मिली, तो उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ सकती है.
सरकार से राहत की उम्मीद
मौसम की इस मार से उबरने के लिए किसानों की उम्मीद सरकार पर टिकी हुई है. प्रशासन का कहना है कि प्रभावित किसानों को हर संभव सहायता दी जाएगी. कृषि विशेषज्ञ भी किसानों को सलाह दे रहे हैं कि वे अपनी अगली फसल की योजना सोच-समझकर बनाएं, ताकि इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.
बारिश से गेहूं-चना को नुकसान, सागौन बीज की बुवाई रुकी
जिले में बुधवार से शुरू हुई बारिश का दौर गुरुवार को भी जारी रहा. पिछले 24 घंटों में 5.2 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई. बेमौसम बारिश ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. कटाई के लिए तैयार गेहूं की फसल बारिश से प्रभावित हुई है.
चना, बटरी और अरहर की फसलें भी नुकसान की चपेट में आ गई हैं. कुछ किसानों ने पहले ही फसल काट ली थी, लेकिन वह भी बारिश में भीग गई. किसान गुड्डा के अनुसार, गेहूं की फसल पक चुकी थी और चना-बटरी की कटाई चल रही थी. बारिश ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है. ओलावृष्टि ने भी गेहूं की फसलों को नुकसान पहुंचाया है.
हालांकि, इस बारिश से जंगलों में आग का खतरा टल गया है. वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी राहत महसूस कर रहे हैं. गर्मी और बढ़ते तापमान के कारण जंगल में आग की घटनाएं बढ़ रही थीं. मध्य प्रदेश राज्य वन विकास निगम की चंदिया रोपणी में चल रही सागौन बीज की बुवाई को भी रोकना पड़ा है. तापमान में गिरावट के कारण यह कार्य स्थगित कर दिया गया है. जिले में पिछले 10 दिनों में अधिकतम तापमान 32.6 से 37.9 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा. न्यूनतम तापमान 12.3 से 19.7 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया.