आलंदी, पुणे, 8 फरवरी 2024: गीता भक्ति अमृत महोत्सव का पांचवां दिन प्रतिष्ठित अतिथियों और उत्साही अनुयायियों की उपस्थिति में निर्बाध रूप से संपन्न हुआ। उत्साहित भक्तों के भक्तिभाव ने संपूर्ण वातावरण को भक्तिमय कर दिया और वे भगवद्गीता पथ के भावपूर्ण मंत्रों डूब गए। आज, भागवद कथा की शुरुआत “विट्ठल माज़ा माज़ा” के गूंजते मंत्रों के साथ हुई, जिसकी गूंज से देवाची आलंदी में गीता भक्ति अमृत महोत्सव में एकत्रित हुए सभी भक्त आह्लादित हो उठे।
दिन का प्रारंभ, एक ज्ञानवर्धक ज्ञानेश्वरोपासना सत्र हुआ, जहाँ परम पूज्य श्री गोविन्ददेव गिरिजी महाराज ने ज्ञानेश्वर मौली की पूजा करके और उनकी पवित्र शिक्षाओं पर विचार करके अपने शिष्यों को गहन ज्ञान प्रदान किया।
4फरवरी से चल रहे इस आयोजन का एक प्रमुख आकर्षण पवित्र देवाची आलंदी में 81 हवन कुंडों का अभूतपूर्व महायज्ञ है। प्रत्येक दिन अलग-अलग यजमानों की उपस्थिति में समाज के कल्याण के लिए महायज्ञ आयोजित किया जाता है। 2000 से अधिक वैदिकों द्वारा पवित्र ग्रंथों के जाप से निकलने वाली निरंतर कंपन जीवन में एक बार होने वाला आध्यात्मिक अनुभव पैदा करती है जो अनुभव करने योग्य है।
एक सकारात्मक माहौल देखा गया क्योंकि समृद्ध गुरु-शिष्य परंपरा को वेदशास्त्र संवाद के रूप में पुनर्जीवित किया गया था। देश भर से वैदिक विद्वान इस ज्ञानवर्धक आयोजन में सक्रिय रूप से शामिल हुए और ज्ञान फैलाने की हमारी सदियों पुरानी परंपरा के महत्व पर जोर दिया।
इस आध्यात्मिक कार्यक्रम में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री विजयेंद्र सरस्वती जी महाराज, पूज्य श्री आनंदमूर्ति गुरु मां, धर्मरत्न स्वामी श्री गोपालशरण देवाचार्यजी महाराज, पूज्य श्री जीतेंद्रनाथजी महाराज जैसे दिग्गजों सहित श्रद्धेय आध्यात्मिक मार्गदर्शकों और बुद्धिजीवियों की गरिमामय उपस्थिति ने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। भदंत पूज्य डॉ. राहुल, धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री जी महाराज, पूज्य श्री आनंदमूर्ति गुरु माँ और अन्य प्रमुख संतों और हस्तियों ने इस कार्यक्रम में अपनी कृपा प्रदान की।
धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री जी महाराज ने गीता भक्ति अमृत महोत्सव के पांचवें दिन भक्तों का मार्गदर्शन करते हुए एवं इस महोत्सव पर अपने विचार व्यक्त करते हुए “मैं यहां आलंदी तीर्थ की पवित्र भूमि पर भागवत की दिव्य कृपा का अनुभव करने के लिए अपने को भाग्यशाली मानता हूं जो पूज्य गुरुओं की उपस्थिति, पवित्र यज्ञ, गौ माता की दिव्यता का साक्षी बन रहा हूं।” आभा और मंदिर के इस आध्यात्मिक वातावरण ने मेरे दिन को असाधारण बना दिया है। मैं सभी गुरुओं को अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और इस पवित्र महोत्सव के आयोजन के लिए पूज्य स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरिजी महाराज के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं, जो हमें दिव्यता की ओर लें जा रहें है।”
परम पूज्य श्री गोविन्ददेव गिरजी महाराज ने साझा किया, “गीता भक्ति अमृत महोत्सव एक आध्यात्मिक जागृति और ज्ञानोदय यात्रा रही है। आलंदी की भूमि में, श्रीमद्भगवद गीता की दिव्य शिक्षाओं को देखना और सच्ची भक्ति के सार का अनुभव करना हमारे लिए सम्मान की बात है।” बागेश्वर बाबा की उपस्थिति के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “श्री धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री जी महाराज का बौद्धिक ज्ञान एक मार्गदर्शक प्रकाश रहा है, और भक्तों का उत्साही अनुसरण युवाओं के बीच ऐसे आध्यात्मिक ज्ञान की सार्वभौमिक अपील को दर्शाता है।”
राष्ट्रभक्ति सम्मेलन के बाद, प्रतिष्ठित व्यक्तियों को हमारे राष्ट्र के विकास और कल्याण में योगदान देने के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और प्रयासों के लिए सम्मानित कर उनका कृतज्ञता ज्ञापन किया गया। दिन भर चले उत्सव का समापन पूज्य एच.बी.पी. के नेतृत्व में एक मनमोहक कीर्तन संध्या के साथ हुआ। श्री पांडुरंगजी महाराज घुले, प्रतिभागियों को एक दिव्य संगीतमय यात्रा में डुबोकर भक्तिपूर्ण समाँ बाँध दिया।