जबलपुर, देशबन्धु. शहर में राष्ट्रपति के नाम दर्ज भूमि पर अतिक्रमण हो रहे हैं तो आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि एक आम नागरिक के नाम दर्ज भूमि कितनी सुरक्षित हैं। हम बात कर रहे हैं टेलीकॉम फैक्ट्री की बेशकीमती भूमि की जो सरकारी दस्तावेजों में स्वयं राष्ट्रपति के नाम दर्ज हैं।
टेलीकॉम फैक्ट्री के श्रमिक नेताओं का आरोप हैं कि टेलीकॉम फैक्ट्री प्रबंधन फैक्ट्री की बेशकीमती और भू-अभिलेखों में राष्ट्रपति के नाम दर्ज भूमि की अतिक्रमणकारियों में बंदरबांट में लग गया हैं ।
श्रमिक नेताओं ने यह आरोप लगाते हुए बताया कि वर्तमान में टैलीकॉम फैक्ट्री के गेट नंबर 4 की कंजरवेंसी एरिया को घेरकर हो रहे निर्माण कार्य को कारखाना प्रशासन तोडने का कार्य करने में ही पसीना छूट रहा था कि निर्माण कार्य को रातों रात करके स्लैब के लिये पटीये तक ठोंक लिये गए।
किसकी शह पर लगे फैक्ट्री की दीवारों पर विज्ञापन
श्रमिक नेताओं के अनुसार फैक्टरी की नकारा व्यवस्था का ये हाल है कि फैक्टरी की नव निर्मित दीवार पर तरह तरह के विज्ञापनों की बाढ़ है परंतु कारखाना प्रबंधन के ये हाल हैं कि फैक्टरी के खाली मैदान को यहां शादी पार्टी आदि में आम जनता को सस्ते में उपलब्ध करने के लिये दीवारों पर विज्ञापनों को लगाना चाहिए पर अधिकारियों को ये सब काम फालतू लगते हैं जबकि इस आदेश को आये लगभग डेढ़ बरस हो गये हैं पर आम जनता को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
श्रमिक नेताओं के अनुसार सब इंस्पेक्टर पद का सिक्योरिटी इनचार्ज एजीएम के कमरे में बैठकर आराम फर्माता हो और उसका सारा काम एक चौकीदार कर रहा हो तो यही हालत होंगे यही चौकीदार ही पूरे स्टाफ की ड्यूटी लगा रहा है। चूँकि वह पढने लिखने में होशियार है वहीं सब इंस्पेक्टर की योग्यता केवल पूरे स्टाफ की चुगली और चाटुकारी विश्वस्त सूत्रों ने जानकारी दी है।
चोरी का माल छिपाने का अड्डा बनी फैक्ट्री
श्रमिक नेताओं का आरोप हैं कि फैक्ट्री के कुछ लोग सूद पर पैसे भी चला रहे हैं उनसे सुरक्षा से जुड़े लोग महिना वारी लेते हैं। आलम ये हैं कि चोरी की गाडियाँ भी पुलिस के डर से सुरक्षा से जुड़े कुछ लोगों के माध्यम से फैक्ट्री के अंदर रख ली जाती हैं ग्राहक मिलने पर बेच दी जाती है यह भी संभव है कि जो लोग खुद गलत गतिविधियों में संलग्न हैं वे ही रात के चोरों के साथ शामिल हों आवास परिसर के दरवाजे खिड़की पहले चोरी हो चुके हैं अब ईंट और लोहा की बारी आ चुकी है रानी ताल चौक गढा रोड पर कुछ लोग कब्ज़ा करके किराये पर देकर एक नयी चौपाटी को मूर्त रूप दे चुके हैं लगभग 50-60 ठेले दुकानें खुल रही हैं हो सकता हैं। इसमें मौन स्वीकृति हो और उन्हें इसका हिस्सा मिल रहा हो
अब सेह नगर में फैक्ट्री की दीवार पर हो रहा अतिक्रमण
अभी गेट नंबर 4 का मामला निपटा भी नहीं था कि किसी व्यक्ति ने फैक्टरी के स्नेह नगर किनारे पर फैक्ट्री की बाउंड्री वॉल तोड़कर उसके किनारे बने जर्जर मकान को नये । सिरे से बनाना शुरू कर दिया हैं।
कुछ वर्ष पहले जब तहसीलदार द्वारा नाप किया गया था। तब किनारे पर मकान के बारे में लोगों को ज्ञात हुआ कि यह मकान ही नहीं बल्कि उसके बाजू में स्थित किराना दुकान, चक्की और एक सैलून सभी में पीएंडटी की भूमि मद में चढ़ा हुआ हैं।
मकान का काम धड़ल्ले से चल रहा है। यदि यही हाल रहर तो एक दिन सारे फैक्ट्री की। दीवार किनारे रहने वाले अपने अपने घरों का विस्तार कर लेंगे?
प्रबंधन, सुरक्षा अधिकारी नहीं ले रहे सुध
फैक्ट्री सूत्रों के अनुसार फैक्ट्री प्रबंधन के अधिकारी और सुरक्षा का जबाब दार सब इंस्पेक्टर धूप अधिक होने के कारण एसी की हवा का लाभ लेते हुए बीएसएनएल के खाते से कोल्ड ड्रिंक का आनंद लेते हुए निंदा रस दोनों का आनंद ले रहे हैं। भोपाल में बैठे चीफ जनरल मैनेजर और बीएसएलएल के सीएमडी ने पूरी व्यवस्था जीएम और डीजीएम के भरोसे छोड़ दी है।
उच्च अधिकारी को इन सब बातों की कोई जानकारी नहीं है कारखाना सूत्रों ने बताया कि इसके पूर्व जो सुरक्षा निरीक्षक आर के मिश्रा थे वे किसी मर्डर केस में फरार थे पुलिस अनेकों बार गेट पर आई मगर वे भूमिगत रहे । करीब साल भर ड्यूटी नहीं आये लेकिन न सिर्फ बकायदा उनकी हाजिरी रजिस्टर पर फर्ज़ी हस्ताक्षर करके वेतन बैंक में जाता था।
श्रमिक नेताओं का आरोप हैं कि वर्तमान सब इंस्पेक्टर ही उनके फर्जी हस्ताक्षर करता था । यह सब भी वर्तमान एजीएम की जानकारी में था पर सब चंगा सी की तर्ज पर चलता रहा। बिना ड्यूटी आये आर के मिश्रा को वीआरएस भी फर्जी तरीके से दे दिया गया। उसी तर्ज पर तत्कालीन सब इंस्पेक्टर भी किसी आपराधिक प्रकरण में फरार थे पर उसके प्रिय अधिकारी ने उसे भी फर्जी तरीके से वेतन भी दिलाया और गिरफ्तार भी नहीं होने दिया?
स्व. विशाल पचौरी ने हटवाई थी दीवार
श्रमिक नेताओं के अनुसार पहले अग्रवाल कालोनी के बीच कुम्हार मुहल्ला से और खेरमाई मंदिर वाली गली से ऐसे दो रास्ते ब्रिटिश सरकार ने टेलीकॉम फैक्ट्री परिसर में जाने के लिये बनाये थे । जिससे फैक्टरी कर्मी ड्यूटी पर आ जा सके और उनके बच्चे खेल मैदान का लाभ ले सके।
दोनों जगह नाले पर चौड़े चीप के पत्थर रखे थे। पूरा मौहल्ला कपड़े धोने और पीने के पानी के लिये फैक्ट्री के नलों का उपयोग करता था। समय के साथ सुरक्षा के अभाव में दोनों ही जगह लोगों ने कब्ज़ा करके निर्माण कर लिये हैं । पक्के मकान तन गये हैं। फैक्ट्री की रेलवे लाइन मदन महल स्टेशन तक है।
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लोगों ने लाइन के बाजू में पक्के मकान बना लिये हैं जबकि लाइन के दोनों तरफ की जमीन फैक्टरी की है। जन हित में 40 फुट का रोड बनाया जा सकता है। एक बस मालिक ने एक एकड़ जमीन में कब्ज़ा कर वहाँ से झुग्गी झोपड़ी वालों को हटाकर अपना गैरेज बना लिया है। गेट न दो पर भी बाजू वाले मार्केट का ज़मीन पर कब्जा किया हुआ हैं।
दिवालों पर बड़े बड़े कीलें गाड़कर फैक्टरी की ज़मीन पर दुकाने लगी हैं एक बड़ी चौपाटी चल रही बीच सड़क कारें टू व्हीलर खड़े हो रहे यह भी खबर हैं कि इन ठेले वालों से कोई पैसा वसूलता है पर पैसा किसकी। जेब में जाता है कोई नहीं जानता। गेट नंबर चार की तरफ दीवार से लगकर लगभग सौ से अधिक कारों ने कब्ज़ा कर रखा है किसी को कोई परवाह नहीं।
श्रमिक नेताओं का कहना है कि पूर्व जेडीए अध्यक्ष एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता स्व. विशाल पचौरी जी अगर आज होते तो देखते उन्होंने पूरा जीवन किसके लिये दीवार हटवाई और फायदा कौन उठा रहा हैं। श्रमिक नेताओं का आरोप हैं कि जिस वर्तमान सब इंस्पेक्टर राम कुमार रजक को आपराधिक प्रकरण के चलते नौकरी से निलंबित होना चाहिए वह एजीएम के साथ हर रोज दोपहर का भोजन कर रहा है।