पाटन, देशबन्धु. नगर परिषद पाटन के बाजार वार्ड में विराजी माता चमत्कारी देवी की अपनी एक सच्ची कहानी है। बताया जाता है की नगर के युवाओं ने सन 1982 की शारदेय नवरात्रि पर्व पर दुर्गा प्रतिमा पूरे विधि विधान से बाजार वार्ड के पंडाल में विराजमान की और नौ दिनों तक पूजा अर्चना के बाद हवन किया गया और जगत जननी माता को टैक्टर ट्राली पर विराजमान कर समिति के सदस्य हर्ष उल्लास के साथ माँ नर्मिदा के पंचवटी घाट पहुंचे जहां माई का पूजन कर नाव से नर्मिदा के प्रवाह पर पहुंचकर जयकारे लगाते हुए माता का विसर्जन किया।
कुछ क्षणों के पश्चात एक अद्भुत चमत्कार का साक्षात्कार समिति के सदस्यों सहित घाट पर मौजूद श्रद्धालुओं ने देखा कि नर्मिदा की तेज लहरों में दुर्गा प्रतिमा अपने आप तीन गुलाटी खाकर बीच मझधार में खड़ी हो गई।
वह क्षण हजारों नहीं,बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था को और दृढ़ कर गया जब दुर्गा विसर्जन के दौरान पंचवटी घाट पर ऐसा अद्वितीय दृश्य देखने को मिला,जिसने शासन-प्रशासन से लेकर हर आम श्रद्धालु को भाव-विभोर कर दिया।
पाटन नगर परिषद अध्यक्ष आचार्य जागेंद्र सिंह बताते है की पाटन नवदुर्गा समिति में मेरे आलावा रवि ठाकुर (रवि भुक्कड़) आशीम नेमा,भूरे नेमा,बसंत नेमा,विनोद बैध,रणवीर सिंह ठाकुर,जमुना यादव,हमेंद्र यादव,गुड्डा बरसैयां के द्वारा स्थापित माँ दुर्गा की प्रतिमा को पारंपरिक विधि से विसर्जन करने के लिए उस समय पंचवटी घाट लेकर पहुंचे थे।
लेकिन जैसे ही सुबह लगभग 12 बजे प्रतिमा को नदी की धारा में प्रवाहित किया,वह बीच मजधार में जाकर एक स्थान पर स्थिर हो गई। तेज बहाव,उफनती लहरें,और बीच नदी-पर माँ दुर्गा की प्रतिमा अडिग खड़ी रही,मानो स्वयं शक्ति ने नदी को रोक दिया हो।
तीन दिन तक नर्मदा की धारा में अडिग रहीं माँ की चमत्कारी प्रतिमा
यह कोई सामान्य घटना नहीं थी। दुर्गा प्रतिमा न विसर्जित हुई,न डूबी,और न ही बहाव के साथ आगे बढ़ी। लगातार तीन दिनों तक प्रतिमा वहीं स्थित रही। यह दृश्य चमत्कार बन गया। खबर फैलते ही आस-पास के गांवों,शहरों और दूर-दराज से हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु माँ के दर्शन करने पंचवटी घाट पर उमड़ पड़े और देखते ही देखते पंचवटी घाट पर मेला भरना शुरू हो गया।
शासन-प्रशासन में मचा हड़कंप
नर्मिदा के पंचवटी घाट पर श्रद्धालुओं के जनसैलाब को देखते हुए शासन प्रशासन को सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल पंचवटी घाट पर तैनात करना पड़ा। लेकिन माँ के दिव्य स्वरूप और भक्तों की आस्था के आगे हर व्यवस्था छोटी प्रतीत हो रही थी।
पाटन में हुआ भव्य मंदिर का निर्माण
तीन दिनों के बाद इस चमत्कारी प्रतिमा को शासन प्रशासन ने मूर्तीकर कुंदन प्रजापति सहित दुर्गा समिति के सदस्यों और पंडा रमेश राजोरिया की उपस्थित में विधि-पूर्वक पुनःविसर्जन कराया। उस दौरान पाटन दुर्गा समिति एवं नगरवासियों ने एकमत होकर निर्णय लिया कि इस चमत्कारी दिव्य प्रतिमा के स्वरुप जैसी नई प्रतिमा बनवाकर भव्य मंदिर में भक्तिभाव से प्राण-प्रतिष्ठा कराई जायगी।
जिसके फलस्वरूप पाटन नगर के बाजार वार्ड में पहले चबूतरा का निर्माण कराया गया फिर 2013 के आसपास दुर्गा समिति के सदस्य नरेश यादव,अमित अग्रवाल,नवीन नेमा, धन्यकुमार नेमा,छोटू बजाज,अब्बू मासाब आदि के द्वारा जन सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया।
लेकिन किन्ही कारणों की वजह से माता की प्रतिमा स्थापित नहीं हो सकी। फिर नगर के देवकुमार यादव एवं उनके परिजनों ने अपने निजी व्यय से पांच लाख 51 हज़ार रूपये की मूर्ति जयपुर राजस्थान से लेकर आए और चमत्कारी माता की भव्य शोभायात्रा दिनांक 9 अक्टूबर 2018 को नगर में निकाली गई,उसके पश्चात दिनांक 10 अक्टूबर 2018 को पूरे विधि विधान से माता चमत्कारी देवी की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई साथ ही पांच दिवसीय शतचंडी यज्ञ का भी आयोजन कराया गया।
ज्ञात हो कि माता की स्थापना में पूरे 36 वर्ष का समय लग गया। आज माँ दुर्गा उसी स्वरूप में श्रद्धा के साथ इस भव्य मंदिर में विराजमान हैं। आज यह मंदिर न सिर्फ पाटन की पहचान बन चुका है बल्कि जिले सहित पड़ोसी जिलों के हज़ारों श्रद्धालु चमत्कारी माता के दर्शन करने आते हैं।
हर नवरात्रि में यहाँ भव्य आयोजन होता है,और पंचवटी घाट की उस अद्भुत घटना को स्मरण कर श्रद्धालु भाव-विभोर हो जाते हैं। नगर के बुजुर्ग बताते है की यह घटना प्रमाण है कि जब आस्था प्रबल हो,तो प्रकृति भी झुक जाती है। माँ की यह चमत्कारी लीला आने वाले पीढ़ियों के लिए धार्मिक,सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के रूप में सदैव जीवित रहेगी।