रामाकोना, देशबन्धु.नागपुर छिन्दवाड़ा राजमार्ग पर कन्हान नदी किनारे बसे ग्राम रामाकोना में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी एकनाथ षष्ठी मेले का आयोजन 20 मार्च से लगभग 15 दिनों तक चलने वाले इस मेले में महाराष्ट्र राज्य से अधिकांश सख्या में श्रद्धालु यात्री श्री तीर्थ क्षेत्र रामाकोना में स्थित प्रसिद्ध विठ्ठल रूखमणी मंदिर में भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने प्रतिवर्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराते है।
एकनाथ षष्ठी मेले का इतिहास – बताया जाता है कि वारकरी संप्रदाय के भक्तजनों के लिए प्ररेणास्त्रोत इस मेले में ग्राम के ह्रदयस्थल में विराजमान विठ्ठल रूखमणी का दर्शन लाभ आवश्यक माना जाता है। भारत संत, महात्मा, योगी पुरुषो की जन्म भूमि रही है जिन्होंने अपनी शक्तियों के बलबूते पर धर्म से विमुख होने वाले लोगों के समक्ष चमत्कारिक, अविश्वसनीय कार्य करके धर्म पर लोगो की आस्था मजबूत की ऐसे ही संत हिरामन महाराज तथा वाताजी महाराज हुए जिनके कारण रामाकोना का षष्ठी मेला का जन्म हुआ ।

वारकरी संप्रदाय के भक्ति भाव से प्रचार – प्रसार में रात दोनों भाई आषाढ़ी कार्तिक को भगवान विठ्ठल के दर्शनार्थ पंढरपुर जाने लगे ,प्रभु स्मरण करते हुए दिन रात पैदल चलकर भगवान के दर्शन करने वाले दोनों भाई बिरले थे थकान से दूर दोनों भाई रामाकोना तथा आस पास के ग्रामो में विठ्ठल भगवान का भजनों कीर्तनो से जन जन तक बखान करने लगे कहते है
एक बार भगवान ने हिरामन को दर्शन दिए और कहा कि भक्त फाल्गुनी मास के रंगपंचमी से सप्तमी तक अर्थात तीन दिन पंढरपुर से उठकर रामाकोना में नदी किनारे तुम्हारे पूजा स्थल अवश्य आऊँगा भगवान के वचनो को आशीर्वाद समझ दोनों भाई रंगपंचमी का इंतजार करने लगे भगवान के दर्शन की बात आग की तरह चारो और फैल गई और फिर हजारों भक्त हिरामन महाराज के पूजा स्थल तक पहुच गए साधु संत भक्तो की भीड़ में बैठे संत हिरामन को भगवान ने दर्शन दिए और कहा कि नदी जाकर एक घड़े में रेत तथा दूसरे घड़े में पानी ले आओ और मेरा नाम स्मरण कर प्रसाद उपस्थितों को बाट दे महाराज ने भगवान के अनुसार वैसा ही किया और नदी से घड़े लाने के बाद जैसे ही घड़े का ढक्कन खोला गया तो चमत्कार हो गया रेत की शक्कर और पानी का घी बन गया महाराज के असंख्य भक्तो ने गगन भेदी ,जयघोष किया।