उमरिया. जनजातीय कार्य विभाग उमरिया द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बतलाया कि पिछले दिनों हुए एक प्रशासनिक आदेश को लेकर एक समाचारपत्र हाल ही में प्रकाशित समाचार ने तथ्यों की गलत व्याख्या कर उसे तोड़-मरोड़कर परोसा है जिससे विभाग के कर्मचारियों और समाज में अनावश्यक भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई।
समाचार में यह प्रमुखता से दर्शाया गया कि आदेश में एसटी, एससी और ओबीसी कर्मचारियों को लक्षित कर उनकी गरिमा को ठेस पहुँचाई गई है। जबकि प्रशासनिक आदेश विभाग के कर्मचारियों में कसावट लाने ,उनकी छबि को सुंदर और प्रभावशील बनाने के लिए किया गया है ।
आदेश की वास्तविक पंक्ति
वास्तविकता यह है कि आदेश की दूसरी पंक्ति में साफ–साफ “ST/SC/OBC विभाग के कर्मचारी” लिखा गया है। इस पंक्ति का आशय उन कर्मचारियों से था, जो संबंधित विभागों में कार्यरत हैं। लेकिन समाचार में “विभाग” शब्द को पूरी तरह नजरअंदाज कर केवल “ST/SC/OBC कर्मचारी” शब्दों को हाईलाइट किया गया।
इससे आदेश की मूल भावना विकृत हो गई और अलग-अलग समुदाय के सामने उन्हें नीचा दिखाने की बात को बढ़ चढ़ कर परोसा गया , जबकि यह आदेश एस टी,एस सी अन्य पिछड़ा वर्ग विभाग व्दारा जारी किया गया है ।
आदेश का असली उद्देश्य
विभाग ने यह आदेश केवल कार्यालयीन अनुशासन, पारदर्शिता और प्रशासनिक कार्यों की दक्षता बढ़ाने के लिए जारी किया था। इसका मकसद किसी भी समाज, वर्ग अथवा कर्मचारी की गरिमा को आहत करना नहीं था। विभाग का मानना है कि प्रशासनिक आदेशों की गलत व्याख्या कर उन्हें जातीय या सामाजिक मुद्दों से जोड़ना, जनमानस को भ्रमित करने और सामाजिक सौहार्द को कमजोर करने वाला कदम है।
विभाग का स्पष्ट पक्ष
आदेश पूरी तरह प्रशासनिक प्रक्रिया के अंतर्गत जारी किया गया।
इसमें किसी वर्ग या समाज को निशाना बनाने का कोई आशय नहीं था।
समाचार में जिस तरह “विभाग शब्द को हटाकर प्रस्तुत किया गया, वह तथ्यों से छेड़छाड़ है।
विभाग सदैव कर्मचारियों की गरिमा और संवेदनशीलता का सम्मान करता आया है और आगे भी करता रहेगा।
भ्रांतिपूर्ण खबर से नुकसान
इस तरह की खबरें कर्मचारियों में गलतफहमी पैदा करती हैं, जिससे कार्य वातावरण प्रभावित होता है। साथ ही समाज में भी अनावश्यक तनाव और अविश्वास का माहौल बनता है।
विभाग की अपील
विभाग पुनः स्पष्ट करता है कि संबंधित आदेश का मकसद केवल कार्यालयीन कार्यों में अनुशासन और पारदर्शिता लाना था। इसलिए आम नागरिकों और कर्मचारियों से अपील है कि अधूरी या आंशिक जानकारी पर भरोसा न करें। किसी भी आदेश या सूचना की सत्यता को समझने के बाद ही उस पर प्रतिक्रिया दें।
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विभाग ने दोहराया है कि यह आदेश पूर्णतः प्रशासनिक प्रकृति का है और इसका किसी वर्ग विशेष को अपमानित करने से कोई संबंध नहीं है।