हमें हमेशा उनकी अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करना
चाहिए, जो वे सभी सांसदों से चाहते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
निवर्तमान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने 11 अगस्त 2017 को भारत के 13वें उपराष्ट्रपति के रूप में
शपथ ली थी और 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद उनके नाम कई उपलब्धियां जुड़ गई
हैं। उनकी अध्यक्षता में 13 सत्रों के दौरान, राज्यसभा के कुल कामकाज का प्रतिशत जहां पहले पांच
सत्रों में 42.77 था, वो बढ़कर अगले आठ सत्रों में 82.34 हो गया। मातृभाषाओं और भारतीय संस्कृति
को बढ़ावा देने के पुरजोर समर्थन के रूप में उनके कार्यकाल में उच्च सदन की कार्यवाही में भारतीय
भाषाओं के इस्तेमाल में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली। राज्यसभा में 1952 के बाद पहली बार
डोंगरी, कोंकणी, कश्मीरी और संथाली भाषा का इस्तेमाल किया गया और राज्यसभा सचिवालय की
ओर से एक साथ अनुवाद सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गईं। इसी तरह असमिया, बोडो, गुजराती,
मैथिली, मणिपुरी और नेपाली भाषाओं का लंबे समय बाद राज्यसभा में इस्तेमाल किया गया। जब
कोविड-19 महामारी ने दुनियाभर में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया था, संसद के कामकाज को
सुचारू ढंग से चलाने के लिए निवर्तमान उपराष्ट्रपति नायडू के नेतृत्व में कई नई पहल की गई, जैसे
संसदीय समितियों की रिपोर्ट वर्चुअल तरीके से पेश की गई। भारतीय मूल्यों से दृढ़ता से जुड़े होने के
नाते उन्होंने कई औपनिवेशिक प्रथाओं को भी बंद करा दिया, जैसे मैं सदन के पटल पर रखने का
निवेदन करता हूं को बदलकर मैं दस्तावेज सभा पटल पर रखता हूं या यह कहने के लिए खड़ा हुआ
हूं…; किया गया। भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार पर जोर देते हुए पुराने हो चुके शब्द को
भी ;माननीय उपराष्ट्रपति; से बदल दिया गया। उनके इन्हीं गुणों को याद करते हुए 8 अगस्त को
आयोजित विदाई समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “हमें हमेशा उनकी
अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए, जो वे सभी सांसदों से चाहते हैं।”
जगदीप धनखड़ को सभी दलों के भारी
समर्थन से भारत का उपराष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई। मुझे विश्वास है कि वे एक उत्कृष्ट
उपराष्ट्रपति होंगे। हमारे देश को उनकी बुद्धिमत्ता और ज्ञान से बहुत लाभ मिलेगा। ऐसे समय में
जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, हमें किसान पुत्र के रूप में उपराष्ट्रपति मिलने पर
गर्व है, जिनके पास उत्कृष्ट कानूनी ज्ञान और बौद्धिक कौशल मौजूद है। – नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री