मॉस्को/वॉशिंगटन. वैश्विक सुरक्षा संतुलन को झटका देते हुए रूस ने छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों (INF मिसाइलें) की तैनाती पर स्वैच्छिक प्रतिबंध समाप्त कर दिया है. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के तटों के पास परमाणु पनडुब्बियाँ तैनात करने का आदेश दिया है. इससे दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया है.
रूसी विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि अब वह 1987 की मिसाइल तैनाती रोक को जारी रखने के लिए बाध्य नहीं है, क्योंकि वह स्थितियाँ अब समाप्त हो चुकी हैं जिनके तहत यह प्रतिबंध लगाया गया था.
अमेरिका के फैसले के जवाब में रूस का ऐक्शन
रूस का यह कड़ा फैसला सीधे तौर पर अमेरिका की हालिया सैन्य गतिविधियों के जवाब में आया है. राष्ट्रपति ट्रंप के निर्देश पर अमेरिका ने रूस की समुद्री सीमाओं के नजदीक दो न्यूक्लियर सबमरीन तैनात की हैं, जिससे क्रेमलिन में चिंता की लहर दौड़ गई है.
रूसी मंत्रालय ने कहा:
> “हमने बार-बार चेतावनी दी थी कि यदि अमेरिका पहले ऐसे कदम उठाता है, तो हम भी जवाबी कार्रवाई करने को मजबूर होंगे. अब चूंकि अमेरिका ने यह कर दिखाया है, हम भी INF मिसाइलों की तैनाती पर से रोक हटा रहे हैं.”
1987 की ऐतिहासिक डील क्या थी?
वर्ष 1987 में रूस और अमेरिका के बीच एक ऐतिहासिक INF (Intermediate-Range Nuclear Forces) समझौता हुआ था, जिसके तहत 500 से 5,500 किलोमीटर रेंज की जमीनी बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों की तैनाती पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसका उद्देश्य यूरोप और एशिया में परमाणु हथियारों की दौड़ को रोकना था.
हालांकि अमेरिका ने 2019 में इस समझौते से एकतरफा रूप से हटने का फैसला किया, जिस पर रूस ने उस समय आपत्ति जताई थी. अब रूस ने भी इस समझौते से पूर्ण रूप से दूरी बना ली है.
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यह क्यों है महत्वपूर्ण?
यह फैसला वैश्विक परमाणु सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे का संकेत है.
यूरोप और एशिया में हथियारों की नई दौड़ शुरू हो सकती है.
अमेरिका-रूस के बीच कूटनीतिक संबंधों में और गिरावट की आशंका बढ़ गई है.