जबलपुर. भारत पाक के बीच चल रहे तनाव में युद्धविराम हो चुका हैं लेकिन बड़ी संख्या में लोगों के मन-मस्तिष्क में युद्ध को लेकर जो उहापोह चल रही हैं उस चिंता में वे न सिर्फ तनाव का शिकार हो रहे हैं बल्कि इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा हैं. मनोचिकित्सकों की मानें तो शहर मे ऐसे लोगों की संख्या सैकड़ों में हैं जिन्होंने परामर्श या फिर काउंसलिंग की मदद ली हैं.
लोगों में सर्वाधिक तनाव की वजह भारत-पाक तनाव के दौरान लोगों के दिमाग पर सर्वाधिक दुष्प्रभाव डालने वाली वजह भारत-पाक तनाव से जुड़ी भ्रामक खबरें, रील्स को बताया जा रहा हैं जो इस तनाव के दौरान तेजी से बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार डर और घबराहट भरी खबरें मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही हैं.
सोशल मीडिया बेहद खतरनाक
विशेषज्ञों की मानें तो भारत-पाक तनाव से जुड़ी भ्रामक खबरों का असर आम नागरिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. ऐसे में तनाव अब सिर्फ दो देशों के बीच नहीं बल्कि लोगों के दिमाग में प्रवेश कर चुका है. हाल के दिनों में नई मानसिक स्थिति युद्ध तनाव (वॉर एंग्जायटी) के मामले उभरने लगे हैं. इसका सीधा संबंध युद्ध की आशंका से जुड़ी नकारात्मक खबरों से है, जो आम व्यक्ति के भीतर डर, घबराहट और बेचैनी को जन्म दे रही हैं.
जब दिमाग में चलने लगे युद्ध
मनोचिकित्सकों के मुताबिक, वॉर एंग्जायटी एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को युद्ध, हमले या भयावह परिदृश्य की कल्पना से तनाव होता है. जब व्यक्ति लगातार टीवी, मोबाइल या सोशल मीडिया पर डर फैलाने वाली खबरें देखता, सुनता या पढ़ता है, तो उसकी सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होती है. उसे हर तरफ खतरा महसूस होता है, और बेचैनी बढ़ जाती है.
ये हैं लक्षण
बिना किसी वजह के बेचैनी और घबराहट महसूस होना, नकारात्मक सोच का बार-बार आन, अफवाहों को सच मान लेना और उसे दूसरों से साझा करना, सरकार या संस्थाओं पर भरोसा कम हो जाना, बार-बार भ्रामक खबर या सोशल मीडिया स्क्रॉल करते रहना नींद में खलल और मन की स्थिरता का टूटना जैसे लक्षण इस एंग्जायटी के शिकार लोगों में देखे जा रहे हैं.
भ्रामक खबरें बनी चिंता की असली वजह
सोशल मीडिया पर भारत-पाक तनाव से जुड़ी अफवाहें तेजी से फैल रही हैं. फेक न्यूज दुश्मन देश की ओर से भी फैलाई जाती हैं, जिनका उद्देश्य लोगों के मन में डर भरना होता है. ऐसी जानकारी की सही प्रमाणिकता बेहद जरूरी है. बिना पुष्टि के खबरों को शेयर करना ना सिर्फ मानसिक तनाव बढ़ाता है, बल्कि समाज में भ्रम भी फैलाता है.